उज्जैन || महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग में जन अभियान परिषद के सहयोग से आदि शंकराचार्य जयंती के पावन अवसर पर एकात्म व्याख्यानमाला का आयोजन सम्पन्न हुआ। जिसका संचालन् ब्लॉक समन्वयक जन अभियान अरुण व्यास ने किया ।
विश्वविद्यालय के कार्यपरिषद सदस्य गौरव धाकड़ ने अपने उद्बोधन में कहा—” २०१४ के बाद से ही भारत एक नवीन सांस्कृतिक नवजागरण की दिशा में गतिमान है। आदि शंकराचार्य के विचार केवल ग्रंथों तक सीमित नहीं हैं, वे अब जनचेतना में पुनः जागृत हो रहे हैं। यह वह क्षण है जब सनातन संस्कृति आधुनिक भारत से संवाद स्थापित कर रही है।” उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं सांकृति प्रवर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व को इस सांस्कृतिक पुनरुत्थान का प्रेरक बताया।
मुख्य वक्ता साध्वी हेमलता जी दीदी माँ सरकार ने अद्वैत वेदांत की गूढ़ व्याख्या करते हुए कहा कि “आदि शंकराचार्य जी ने आत्मबोध, नारी जागरण एवं युवाशक्ति को एक सूत्र में पिरोकर सनातन धर्म को जीवंत परंपरा में रूपांतरित किया। सामाजिक भेदभाव का निवारण कर समरस समाज की स्थापना का आग्रह भी उन्होंने मनःपूर्वक किया।”
अध्यक्ष, कामधेनु गौसेवा संघ एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ,हरियाणा प्रांत से पधारे वरिष्ठ सदस्य आचार्य मनीष श्री हरि ने युवाओं को “ब्रह्म सत्यं, जगन्मिथ्या” की अवधारणा के माध्यम से आत्मविमर्श व लक्ष्यनिर्धारण हेतु प्रेरित किया। अध्यक्षीय उद्बोधन मे कुलपति प्रो. विजय कुमार सी.जी. ने विश्वविद्यालय के दर्शन विभाध्यक्ष अखिलेश द्विवेदी व टीम की इस सांस्कृतिक पहल की सराहना करते हुए कहा कि”दर्शन, अध्यात्म एवं सांस्कृतिक संवाद की परंपरा को पुनर्जीवित करना ही आज के शिक्षण संस्थानों का कर्तव्य है।प्रो मेनन ने आचार्य शंकर के जीवन एवं कृतित्व पर आधारित प्रामाणिक प्रकाशनों की आवश्यकता पर भी बल दिया।
इस अवसर पर उज्जैन संभाग साशी निकाय सदस्य अजीता परमार,उज्जैन संभाग समन्वयक शिवप्रसाद मालवीय,उज्जैन जिला समन्वयक जय दीक्षित, उज्जैन ब्लॉक समन्वयक अरुण व्यास, एवं दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. अखिलेश द्विवेदी की गरिमामयी उपस्थिति रही। आभार प्रदेश डॉ शैवाल आचार्य ने किया

