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विधायको की आपत्ति के बाद नए सिरे से बनेगा भोपाल का मास्टर प्लान

भोपाल | मध्यप्रदेश की राजधानी  भोपाल के मास्टर प्लान का ड्राफ्ट अब नए सिरे से बनेगा। 2031 के ड्राफ्ट को मंत्री, सांसद और विधायकों ने खारिज कर दिया है। अब यह साल 2047 की आबादी के हिसाब से तैयार होगा। दिसंबर-24 तक प्रोसेस पूरी होगी। फिर लागू कर दिया जाएगा। जनप्रतिनिधियों के सुझाव के आधार पर नया ड्राफ्ट बनेगा। मौजूदा ड्राफ्ट पर विधायकों की नाराजगी और आपत्तियां ही भारी पड़ी थी। बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा ने तो ड्राफ्ट को शहर की 35 लाख आबादी के साथ धोखा बताया था, जबकि मंत्री कृष्णा गौर ने भी आपत्ति ली थी।

पिछले साल अगस्त से सितंबर तक 6 चरण में ऑनलाइन सुनवाई की गई थी। जिसमें विधायक शर्मा ने कई सवाल उठाए थे। उन्होंने साफ कहा था कि प्रस्तावित मास्टर प्लान बिना भौतिक सत्यापन किए शहर की परिस्थितियों को समझे बिना ही आंख बंद करके बना दिया गया है। यह शहर की 35 लाख आबादी के साथ धोखा है। 60–70 वर्षों से लेकर 100 साल तक पुराने गांव हैं, जो कि अब नगर निगम सीमा में है। उनकी भूमि एग्रीकल्चर थी। अब उनकी भूमि को ग्रीन बेल्ट और कैचमेंट में डाल दिया गया। जिसके कारण वह अपनी भूमि पर खेती से संबंधित भी कोई उपक्रम या डेयरी आदि भी संचालित नहीं कर पाएंगे। ऐसे किसानों के परिवार का जीवन-यापन कैसे होगा? मास्टर प्लान इंसानों के लिए होता है लेकिन प्रस्तावित प्लान से इंसानों को बेघर किया जा रहा है। कलेक्टर के आदेश से जिन बस्तियां को पुनः बसाया गया है, उसे भी कैचमेंट में डाल दिया गया है।

भाजपा विधायक शर्मा  भी नाराज 

विधायक शर्मा ने कहा था कि पुराने ड्राफ्ट में नीलबड़ की 45 कॉलोनियों सहित रातीबड़, नीलबड़ एवं अन्य क्षेत्रों में सैकड़ों अवैध कॉलोनियों को मुख्यमंत्री ने वैध घोषित किया है, लेकिन प्रस्तावित मास्टर प्लान में इस एरिया को कैचमेंट में डालकर लोगों को बेघर करने का काम किया जा रहा है, जो बर्दाश्त नहीं है। विधायक शर्मा ने कहा, ऐसा मास्टर प्लान बनाइए कि आम नागरिक का भला हो, उसके बेटा-बेटी रहने के लिए घर बना सके, उसे सुविधा मिल सके, अस्पताल बन सके, स्कूल बन सके, सड़कें बन सके, आसपास व्यवसायिक परिसरों का निर्माण हो सके। प्लान ऐसा नहीं होना चाहिए कि शहर के विकास में बाधा बने और लोगों को परेशानी में डालें।

कांग्रेस ने भी आपत्ति जताई थी

मास्टर प्लान को लेकर कांग्रेस नेता ज्ञानचंदानी ने भी आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि नए मास्टर प्लान मे बैरागढ़ से सीहोर रोड तक की जमीनों का उपयोग कृषि से हटाकर कैचमेंट में प्रस्तावित किया है, जो कि अनुचित है। ऐसा करने से 2 दिक्कतें हो रही हैं। पहली बैरागढ़ की आबादी तीन गुना तक बढ़ चुकी है, उसके हिसाब से मास्टर प्लान में कोई प्लानिंग नहीं है।

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