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कुलउद्धारक ऋषि पुत्र ब्राह्मण रावण के दहन पर प्रतिबंध लगाया जाए “-मुख्यमंत्री को पत्र*

हिन्दू धर्म में परम्परा बन चुके रावन दहन को लेकर अब विरोध के सुर उठने लगे है ,अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज ने इस परंपरा पर रोक लगाने की मांग की है.एक पत्र मुख्यमंत्री को लिखते हुए इस पर हमेशा के लिए रोक लगाने की मांग की है , युवा ब्राहमण समाज का कहना है की रावन एक विद्वान् ब्राह्मण था जिसे बार बार दहन कर ब्राह्मण का अपमान करने के समान है 

आपको बता दे  आगामी 12 अक्टूबर को दशहरा पर्व है. इसे मनाने के लिए अभी से तैयारियां चल रही हैं. इस दिन रावण दहन के लिए बड़े-बड़े पुतले बनाए जा रहे हैं. रावण के साथ मेघनाथ और कुंभकर्ण के भी पुतलों का दहन किया जाता है. परंपरा के मुताबिक, भगवान राम के स्वरूप में मौजूद कलाकार अग्निबाण से रावण के पुतले को दहन करते हैं. अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज ने इस परंपरा पर रोक लगाने की मांग की है.

भारत  देश में दशहरा पर रावण दहन किया जाता है. इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतिक के  रूप में मनाया जाता है. लोग रावण को बुराई का प्रतीक मानकर उसके पुतने को जलाते हैं. मध्य प्रदेश में अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज ने रावण दहन की परंपरा का विरोध जताया है. समाज के लोगों ने रावण को विद्वान और त्रिकालदर्शी बताते हुए प्रदेश सरकार से रावण दहन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है. संगठन के पदाधिकारियों का कहना है कि रावण का पुतला जलाकर ब्राह्मणों को अपमानित किया जाता है.

महाकाल मंदिर के पुजारी और अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज के संस्थापक अध्यक्ष महेश पुजारी ने मुख्यमंत्री को पत्र में लिखा है कि रावण विद्वान और त्रिकालदर्शी थे. उन्होंने द्वापर में माता सीता का हरण जरूर किया था, लेकिन उनके साथ कभी कोई गलत व्यवहार नहीं किया. उन्होंने बताया कि रावण ने राक्षस कुल का उद्धार करने के लिए माता सीता का हरण किया था, जिसके कारण ही भगवान राम के हाथों उन्होंने मुक्ति पाई.

बार बार  रावण दहन करने से  ब्राह्मणों का होता  अपमान- महेश पुजारी

महाकाल मंदिर के पुजारी  महेश शर्मा का  कहते हैं कि वर्तमान में रावण दहन करने के पीछे ब्राह्मणों को अपमानित करना प्रतीत होता है. रावण के पुतले का दहन सिर्फ दशहरे पर नहीं बल्कि पूरे सप्ताह भर होने लगा है. उनका कहना है कि रावण के पुतले का दहन करने वाले संगठन और संस्थाएं ब्राह्मण समाज का कभी भी भला नहीं कर सकते. उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से पत्र के माध्यम से मांग की है कि मध्य प्रदेश में रावण के दहन पर प्रतिबंध लगना चाहिए और अगर पुतला दहन करना ही है तो ऐसे लोगों के करें जो मां बेटियों के साथ दुष्कर्म कर उनकी हत्या कर देते हैं.

अपने मन की राक्षस प्रवृत्ति को मिटाना चाहिए

अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज के संस्थापक अध्यक्ष महेश पुजारी ने बताया कि वर्तमान समय रावण के पुतले को जलाने का नहीं है. रावण के पुतले को जलाकर भले ही हम प्रसन्न हो जाते हैं, लेकिन वर्तमान में रावण को जलाने वाले और इसके जलने पर खुशियां मनाने वाले लोगों को इस दिन अपने मन की राक्षस प्रवृत्ति को मिटाना चाहिए. वह कहते हैं कि वर्तमान में कई ऐसे उदाहरण हैं, जिन्होंने लंकाधिपति रावण से भी ज्यादा बुरे काम किए हैं. उन्होंने कहा कि एक षड्यंत्र के तहत हमेशा ब्राह्मण कुल को बदनाम करने के लिए रावण के पुतले का दहन किया जाता है जो कि अब हमें स्वीकार नहीं है. इसीलिए हम रावण के पुतले के दहन पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हैं.

रावण दहन पर रोक और  प्रतिबंध की मांग

अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश पुजारी के साथ ही अध्यक्ष अर्पित पुजारी, उपाध्यक्ष मुकेश अग्निहोत्री, उपाध्यक्ष श्रीवर्धन शास्त्री, महामंत्री अजय जोशी कुंड वाला गुरु, कोषाध्यक्ष शिवम शर्मा, संगठन मंत्री जितेंद्र तिवारी, कार्यकारिणी के देवेंद्र नागर, हितेश शर्मा, रूपेश मेहता, प्रणव पंड्या, विनोद शुक्ल के साथ ही अन्य पदाधिकारियो ने भी रावण के पुतले के दहन पर रोक लगाने की मांग की है.

नहीं करते हैं रावण दहन

मध्यप्रदेश के ही छिंदवाडा में रहने वाले आदिवासी समुदाय के लोग दशहरा के मौके पर रावण दहन का विरोध करते हैं. इसके लिए उन्होंने कई बार सरकार से इसकी अपील भी कि रावण दहन को बंद कर दिया जाए. उनका कहना है कि रावण की मूर्ति की स्थापना वो लोग करते हैं, ऐसे में रावण दहन पर रोक लगाई जानी चाहिए. आदिवासी समाज के लोग रावण के बेटे मेघनाथ की भी पूजा करते हैं. साथ ही वो नवरात्रि में पूरे 9 दिनों तक रावण की पूजा करते हैं.हालही में एक बार फिर यह के आदिवासियों ने भी मुख्यमंत्री से रावन दहन पर रोक लगाने की मांग की है

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