भोपाल |मध्यप्रदेश के एक बड़े न्यूज़ पोर्टल की एक खबर के अनुसार मध्यप्रदेश में अब भाजपा की दिक्कत खुद आरएसएस के कुछ भूतपूर्व पदाधिकारी बनने जा रहे है ,
RSS यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रयोगशाला मालवा-निमाड़ को माना जाता है और यह के कुछ पूर्व प्रचारकों ने कट्टर हिंदुत्व के एजेंडे पर अब खुद की अलग पार्टी बनाकर चुनावी मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया है। आज 10 सितंबर को इस पर भोपाल में एक बड़ी बैठकहोने वाली है। इसी के साथ पार्टी का रजिस्ट्रेशन सहित अन्य घोषणाएं हो सकती हैं। इस नई पार्टी काे लीड करने जा रहे अधिकतर लोग संघ बैकग्राउंड के हैं। आरएसएस के इन पूर्व पदाधिकारियों की नई पार्टी का नाम जनहित पार्टी हो सकता है।
एक नजर अलग पार्टी बनाने के कारण और इन लोगो के पदों पर
दरअसल आरएसएस जिस मुद्दे को लेकर भाजपा के साथ थी उसमे आरएसएस पर भाजपा के विचार अब मेल नहीं खा रहे है जैसे BJP का हिंदुत्व के मुद्दे पर अलग-अलग राय रखना। संगठन किसी मुद्दे पर सख्त होता है पर सरकार अलग रवैया अपना लेती है। कांग्रेस मुक्त भारत का नारा देकर कांग्रेसयुक्त भाजपा बनाकर संघ और भाजपा के पुराने कार्यकर्ताओं को अलग-थलग करना।वही पहले विधानसभा लोकसभा चुनाव में टिकिट वितरण में संघ का ज्यादा हस्तक्षेप हुआ करता था लेकिन अब भाजपा ही तय करती है , हालही में आई 39 प्रत्याशियों की सूचि के बाद भी कई जगह विरोध देखने को मिल रहा है |नई पार्टी बनाने का दावा कर रहे आरएसएस के कार्यकर्ताओं का कहना है कि वैसे ही पार्टी टिकट वितरण को लेकर फिलहाल अंतर्कलह के दौर से गुजर रही है। पहली सूची में ही कई उम्मीदवारों के खिलाफ विरोध के स्वर बुलंद हुए हैं।
जो लोग पार्टी बनाने की जद्जोहद कर रहे है उसमे
मालवा-निमाड़ और मध्य प्रदेश इसलिए चुना
कुशाभाऊ ठाकरे से लेकर प्यारेलाल खंडेलवाल, कृष्णमुरारी मोघे, माखन सिंह चौहान और अरविंद मेनन जैसे संगठन मंत्रियों ने मालवा-निमाड़ को बीजेपी का गढ़ बनाया था। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो आरएसएस के लिए हिंदी भाषी बेल्ट में मध्य प्रदेश और खासतौर पर मालवा-निमाड़ हमेशा गढ़ जैसा रहा। तमाम दिग्गज संघ नेता यहां पर प्रयोग कर चुके हैं। 2003 में दिग्विजयसिंह के खिलाफ फायर ब्रांड नेता उमाभारती भी इसी कारण से भगवा ब्रिगेड के साथ एकतरफा सरकार लाई थी। उसके बाद 15 साल तक बगैर किसी दिक्कत सरकार चलती रही। इसकी वजह तमाम एंटी इनकम्बैंसी के बावजूद संघ का मजबूत वोट बैंक यहां सरकार बनाने में हमेशा साथ देता रहा। यही वजह है कि पार्टी बनाने वालों ने भी इसकी शुरुआत मध्य प्रदेश से की है। यहीं पूरी रूपरेखा बन रही है।
कौन हैं इस पार्टी के मार्गदर्शक
भारत हितरक्षा अभियान के प्रणेता अभय जैन ने इस पार्टी के गठन की शुरुआत की। इनमें अभय जैन के साथ मनीष काले, विशाल बिंदल मुख्य रूप से शामिल हैं। अभय जैन मध्यप्रदेश में प्रांत बौद्धिक प्रमुख रह चुके हैं। वे इंदौर नगर प्रचारक के साथ सिक्किम विभाग प्रचारक और प्रांत सेवा प्रमुख जैसे बड़े दायित्व पर रह चुके हैं। इंदौर और मध्यप्रदेश समेत देश के कई राज्यों में अभय जैन लंबे समय से सक्रिय हैं। वे देशभर के लोगों को इस नई विचारधारा से जोड़ने का काम कर रहे हैं। मनीष काले आरएसएस के रीवा विभाग प्रचारक रह चुके हैं। ग्वालियर-चंबल के पूरे क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय हैं और वहां के लोगों को नई राजनीतिक पार्टी से जुड़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। विशाल बिंदल भोपाल सायं बाग प्रचारक रह चुके हैं। वे इन दिनों झारखंड में सक्रिय हैं और वहां पर सामाजिक और राजनीतिक आंदोलनों का नेतृत्व कर रहे हैं। डॉक्टर सुभाष बारोट पिछले 40 वर्षों से सामाजिक कार्यों में संलग्न हैं।
