उज्जैन || आगामी साल में मध्यप्रदेश के उज्जैन में सिंहस्थ महाकुम्भ का आयोजन होना है जिसको लेकर सरकार ने अभी से तेयारिया शुरू कर दी है सरकार के पास विकास के काम जितने है उससे कई ज्यादा चुनोतिया है , समय जरुर कम है लेकिन सरकार की विकास एजेंसिया इसे समय पर पूरा करने की चुनोतियो के साथ भी काम कर रही है |
सिंहस्थ महाकुम्भ को लेकर जुना अखाड़े के महामंडलेश्वर शेलेशानंद गिरी जी महाराज ने जनसंवाद एक्सप्रेस से कई अहम मुद्दों पर चर्चा की , महामंद्लेश्वर शेलेशानंद जी ने कहा की सिम्ह्स्थ को लेकर सरकार की योजना अच्छी है लेकिन स्पस्थ्ता का आभाव बना हुआ है , उज्जैन कुम्भ की अगर प्रयागराज हरिद्वार नाशिक से तुलना करते है तो ज्योग्राफिकल कंडीशन यहाँ की अलग है , या कहे की यहाँ की जमीनी हकीकत अन्य कुम्भ नगरियो की तुलना में बहुत अलग है |वह की भूमि का फैलाव अलग है नदी का प्रवाह अलग है | एक समय ऐसा भी आया था की शिप्रा में जल के आभाव में महिदपुर में सिंहस्थ हुआ था | उज्जैन में सिंहस्थ की जमीनों का विस्तार होना चाहिए , प्रयागराज में कुम्भ का फैअलाव अधिक होने के बाद भी श्रधालुओ की भीड़ का नियंत्रण प्रशासन के बस में नहीं था ऐसे में जरुरी है की उज्जैन में सिंहस्थ भूमि का विस्तार हो |
नगर में तोड़फोड़ की जगह नदी के उस पार का विस्तार हो
आगामी साल 2028 में सिंहस्थ कुम्भ का आयोजन होना है जिसको लेकर नगर में सडको का चौड़ीकरण किया जा रहा है जिसको लेकर महामंडलेश्वर गिरी ने कहा की अभी बारिश का समय है और सिंहस्थ के लिए दो से तीन वर्ष का समय ही बचा है ऐसे में कामो को अधिक खोलने की जगह शिप्रा नदी के उस पार शहर को जोड़ने वाले मार्गो का विस्तार हो , नदी के उस पार सिंहस्थ क्षेत्र का फैलाव किया जाए , शहर में आने वाले मार्ग नागदा रोड, बडनगर रोड ,इंदौर रोड, मक्सी रोड क्षेत्र में फैलाव करना चाहिए |शासन को मेरी सलाह है की इसकी भूमि का विस्तर करे
गर्मी में सिंहस्थ का आना एक बड़ी चुनोती
संत गिरी ने बताया की प्रयागराज में कुम्भ ठण्ड में लगता है लेकिन हमारे यह कुम्भ गर्मियों के दिनों में आता है और इसमे चुनोती बढ़ जाती है हैजा फेलने तक की सम्भावना रहती है आप्रत्याशित चुनोती का सामना करना पढता है पिछले सिंहस्थ में उज्जैन में गर्मी के दिनों में भी आंधी तूफ़ान और बारिश के कारण बड़ी समस्या खड़ी हुई थी संतो के पंडाल उड़ गए थे कई लोगो की जाने भी गई थी ऐसे में मौसम को देखते हुए धुप के बचाव पानी की पूर्ति भी एक चुनोती है |
धार्मिक स्थानों से राजस्व वसूलने की सोच से बाहर आए
एक बड़ी समस्या है की शासन धार्मिक स्थलों से राजस्व वसूली का प्रयास करता है धार्मिक स्थलों से राजस्व की सोच से बाहर आए और धार्मिक शहर को धार्मिक रहने दे इसे स्पेचुअल सिटी या टूरिज्म प्लेस बनाने का प्रयास ना करे टूरिज्म के लिए शहर के बाहर कई खाली जगह है वह इसका विस्तार किया जाए ,स्थाई निर्माण के लिए बंजर भूमि का उपयोग होना चाहिए सिंहस्थ क्षेत्र की भूमि उपजाऊ है |


