NATO Summit 2025: नाटो समिट 2025 में अमेरिका की सख्ती ने सहयोगी देशों के बीच तनाव बढ़ा दिया है। वहीं, यूरोपीय देश चाहते हैं कि यूक्रेन पर चर्चा प्राथमिकता बने। ऐसे में सवाल है कि क्या नाटो में मतभेद गहराएंगे या अमेरिका की आक्रामक नीति से पश्चिमी मोर्चा और मजबूत होगा।
दुनिया की सबसे बड़ी सुरक्षा संस्था नाटो एक बार फिर उस मोड़ पर आ खड़ी हुई है, जहां या तो सदस्य देशों की एकता इतिहास रचेगी या फिर आपसी मतभेदों की खाई और गहरी होगी। नीदरलैंड्स के हेग में हो रहा नाटो समिट इस बार ऐतिहासिक बन सकता है, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सख्त शर्तों और तीखे तेवरों ने इसे और विवादित बना दिया है। ऐसे में सवाल है कि क्या नाटो में मतभेद गहराएंगे या अमेरिका की आक्रामक नीति से पश्चिमी मोर्चा और मजबूत होगा।
आपको बता दे की नीदरलैंड के द हेग शहर में आज से नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (NATO) समिट का आज दूसरा दिन है और सदस्य देशों के प्रमुखों की मीटिंग होगी। मीटिंग तीन घंटे चलेगी और जो घोषणा-पत्र जारी होगा वह केवल 5 पैराग्राफ का होगा। ऐसा इस वजह से किया गया है, ताकि देशों मतभेद खुलकर सामने न आएं।
इस बार की बैठक को NATO के इतिहास की सबसे अहम बैठकों में माना जा रहा है। यह ऐसे समय हो रही है जब मिडिल ईस्ट में ईरान-इजराइल जंग का 12 दिनों बाद सीजफायर हुआ है, रूस-यूक्रेन में युद्ध जारी है और पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था अस्थिर है।
