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श्रावण माह में फिर फूटा नाला शिप्रा में मिला सीवरेज का पानी , संतो में भारी नाराजगी

उज्जैन | मोक्ष दायिनी शिप्रा आखिर क्यों बनती जा रही राजनीतिक अखाडा , राजनेतिक दल माँ शिप्रा के नाम पर राजनीति तो करते है वोट भी बटोरते है लेकिन माँ शिप्रा के शुद्धिकरण को लेकर को गंभीर नही है , एक बार नही कई बार शिप्रा मैय्या में शहर के गंदे नालो का पानी मिल चुका है , सीवरेज का पानी शिप्रा में मिलने से माँ शिप्रा दूषित तो होती है फिर इस पानी में आने वाली बदबू के कारण कोई इसका आचमन भी नहीं कर पाता है |

और फिर  सावन के महीने में तो महाकाल की नगरी उज्जैन में आने वाले हर श्रद्धालु के लिए  शिप्रा स्नान का बड़ा महत्व होता है. लेकिन यदि उसी  शिप्रा का पानी दूषित हो जाए तो  फिर उसकी सुध लेने कोई नहीं आता है , श्रावण का महिना चल रहा है और उज्जैन में बाबा महाकाल की सवारी निकलने का महत्व है सोमवार को बाबा महाकाल की दूसरी सवारी निकली और  रामघाट के जिस स्थान पर बाबा महाकाल की पालकी का पूजन हुआ, आज उसी स्थान पर दो गंदे नाले फूट पड़े और देखते ही देखते सारा गंदा पानी आकर शिप्रा में मिल गया. इससे मोक्षदायिनी मां शिप्रा फिर से मैली हो गई. वहीं मौके पर पुण्य स्नान कर रहे लोगों की भावनाओं को चोट पहुंची है. यह स्थिति महज आधे घंटे की मूसलाधार बारिश की वजह से हुआ.

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. इससे पहले चार बार यह नाला फूट चुका है और हर बार इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सरकार ने कार्रवाई भी की है. बावजूद इसके समस्या का अब तक कोई स्थाई समाधान नहीं निकाला गया. जानकारी के मुताबिक मंगलवार की दोपहर करीब आधे घंटे तक उज्जैन  में मूसलाधार बारिश हुई. चूंकि नालों की ठीक से सफाई नहीं हुई है, ऐसे में इस बारिश के पानी का दबाव पुराने पड़ चुके नाले नहीं झेल पाए और रामगंगा के उस घाट पर ही फूट पड़े, जहां एक दिन पहले बाबा महाकाल की पालकी का पूजन हुआ था. इससे नालों का सारा पानी शिप्रा में मिलने लगा.

यह स्थिति करीब आधे पौने घंटे तक लगातार बनी रही. इसके बाद किसी तरह इस पानी को तो रोक दिया गया, लेकिन उस समय शिप्रा में स्नान कर रहे लोगों तक यह गंदा पानी पहुंच गया था. इससे रामघाट पर आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे श्रद्धालुओं को मानसिक पीड़ा हुई. स्थिति यहां तक आ गई कि दर्जनों लोग बिना नहाए ही वापस लौट गए. लोगों ने इस संबंध में तत्काल नागरिक एजेंसियों को सूचित भी किया, लेकिन घंटे भर तक अधिकारियों ने इसकी कोई खबर तक नहीं ली. बता दें कि करीब 1 महीने पहले भी रामानुजकोट के समीप इसी नाले में लीकेज हुआ था.

उस समय भी नाले का गंदा पानी तीन से चार घंटे तक शिप्रा में मिलता रहा. इस मामले में स्मार्ट सिटी के जिम्मेदार अधिकारियों कर्मचारियों पर एक्शन होना था, लेकिन प्रशासन ने एक सविदाकर्मी को हटाकर अपनी इतिश्री कर ली. जबकि उससे पहले 5 जनवरी 2019 को भी इस तरह की घटना हुई थी. उस दिन शनिश्चरी अमावस्या था और बड़ी संख्या में श्रद्धालु त्रिवेणी घाट पर स्नान करने पहुंचे थे. लेकिन उन्हें गंदे पानी में स्नान करना पड़ा था. उस समय कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार थी.

मुद्दा उठा तो सीएम कमलनाथ ने भी नाराजगी जताई और बिना देर किए तत्कालीन कमिश्नर एमबी ओझा और तत्कालीन कलेक्टर मनीष सिंह को हटा दिया गया था. लेकिन अब शिवराज सिंह के नेतृत्व वाली बीजेपी की सरकार है और देखना है कि इसमें क्या कार्रवाई होती है. बता दें कि 57 वर्षों बाद इस सोमवार को सोमवती अमावस्या और हरियाली अमावस्या का विशेष मौका था. श्रावण मास में यह एक दुर्लभ संयोग बना था. इस पवित्र मौके पर श्रद्धालुओं ने सोमतीर्थ और रामघाट पर पहुंचकर आस्था की डुबकी लगाई थी.

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