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उज्जैन सेंट्रल जेल में 12 करोड़ का गबन:कर्मचारियों का DPF निकाला; बाबू फरार, जेल अधीक्षक ने दी छुट्‌टी की एप्लिकेशन, मामले की जाँच शुरू

उज्जैन की सेंट्रल जेल भैरवगढ़ और इससे जुड़ी 4 उपजेलों के कर्मचारियों के साथ 12 करोड़ रुपए से अधिक का गबन हुआ है। घटना का पता चलते ही कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने जांच बैठा दी। साथ ही ट्रेजरी ऑफिसर को थाने भेजकर धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज कराई है। केस दर्ज होने का पता चलते ही जेल का एक बाबू घर पर ताला लगाकर परिवार समेत फरार हो गया है। मामला तूल पकड़ते देख रविवार को जेल अधीक्षक उषा राजे के छुट्‌टी की एप्लिकेशन देने की बात भी सामने आई है।

उज्जैन जिला अतिरिक्त कोषालय से पीएफ फंड के रूपयो में की गई धोखाधड़ी के मामले में अधिकारी सुरेंद्र भामर ने भैरवगढ़ थाने में धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज कराई है। जेल में अनियमितता और फर्जी भुगतान के संदर्भ में केंद्रीय भैरवगढ़ जेल में पदस्थ कर्मचारी रिपु दमन सिंह को धोखाधड़ी और अन्य धाराओं में आरोपी बनाया गया है। उज्जैन कलेक्टर और एसपी ने इस केस में जेल के अधिकारी की भी भूमिका हो सकती है। आरोपी  रिपुदमन सिंह पिछले ढाई साल से जेल के कर्मचारियों का डीपीएफ निकाल कर खातों में डलवा रहा था। बुधवार को एक साथ 2 खातों के रुपए एक ही अकाउंट में जाने पर इसकी जानकारी लगी थी। उज्जैन कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने जांच के आदेश दिए थे जिसके बाद भैरव गढ़ थाने में एफ आई आर दर्ज करवाई गई है। जेल के मुख्य प्रहरी एसके चतुर्वेदी के भविष्य निधि खाते से 12 लाख रुपए और प्रहरी उषा कौशल के DPF (डिपार्टमेंट प्रोविडेंट फंड) के 10 लाख रुपए निकाल लिए गए। जेल के कर्मचारी रिपुदमन ने यह रकम निकालकर बैंक ऑफ इंडिया भैरवगढ़ के खाते में ट्रांसफर की। ऐसे और भी कर्मचारी हैं, जिन्हें पता ही नहीं चला और उनके आवेदन के बिना ही उनका DPF का पैसा दूसरे खातों में ट्रांसफर हो गया। करीब 100 से अधिक ऐसे कर्मचारी है जिनके खातों से रुपए निकाले गए हैं। उज्जैन कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने बताया कि इस तरह का मामला सामने आया है जेल अधीक्षक के पास लॉगिंग आईडी रहता है। आज शाम तक भोपाल से टीम आकर जांच करेगी जो भी दोषी होंगे उन पर सख्त कार्यवाही की जाएगी।

दोषी अधिकारियों के खिलाफ होगी कार्रवाई
सोमवार को जांच के लिए जेल डीआईजी मंशाराम पटेल व अन्य अधिकारियों की टीम उज्जैन पहुंची। जांच दल जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगा। इस आधार पर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी। जेल के सहायक लेखाधिकारी रिपुदमनसिंह ने स्वयं तथा दो अन्य बैंक खातों में रुपये ट्रांसफर किए थे। इसको लेकर भैरवगढ़ पुलिस सोमवार को जांच के लिए बैंक पहुंची। जिन बैंक खातों में रुपये ट्रांसफर किए गए हैं, उनके खाता नंबर के आधार पर पुलिस आरोपियों के नाम-पते निकाले गए हैं। पुलिस आरोपियों की तलाश में जुटी है।

उज्जैन  कलेक्टर के आदेश पर दर्ज कराया केस
घटना की जानकारी लगने के बाद जिला कलेक्टर ने जाँच शुरू करवाई है  वही जांच के बाद मामले की गंभीरता देख जिला कलेक्टर के आदेश पर जिला अतिरिक्त कोषालय अधिकारी सुरेंद्र भामर ने जेल के बाबू रिपुदमन सिंह पिता दिनेश के विरुद्ध भैरवगढ़ थाने में धोखाधड़ी का मामला भी दर्ज करवाया है। एफआईआर में अनियमिता व फर्जी भुगतान के आरोप लगाए गए हैं।

जेल के 100 से अधिक  कर्मचारियों के साथ धोखाधड़ी 
डीपीएफ घोटाले में केन्द्रीय जेल के 100 से अधिक कर्मचारी का पैसा शामिल है , भैरवगढ़ थाने के टीआई प्रवीण पाठक के मुताबिक जिला कोषालय के अनुसार रिपुदमन ने 100 कर्मचारियों के साथ धोखाधड़ी की है। गबन की राशि 13 करोड़ रुपये के आसपास बताई जा रही है। शुरुआती जांच में सामने आया कि कुछ कर्मचारियों का वेतन तथा कुछ कर्मचारियों के भविष्य निधि खातों में जमा रुपये निकाले गए हैं।

ढाई साल से चल रहा था घोटाला लेकिन वर्ष 2023 में सबसे ज्यादा राशी का 7 करोड़ का गबन  : कलेक्टर

उज्जैन के कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने कहा कि जेल में जीपीएफ घोटाला सामने आया है। एक सिपाही के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। कर्मचारियों के डीपीएफ में गड़बड़झाला कर अपने खाते में पैसा ट्रांसफर किया गया है। जब ट्रेजरी से पेमेंट होता है तो अकाउंट नंबर का काम जेल अधीक्षक ही करते हैं। बीते ढाई साल से यह सब चल रहा था। अब संज्ञान में आया तो एफआईआर दर्ज करवाई गई है।

फरार बाबू के घर नोटिस चस्पा
जिला अतिरिक्त कोषालय अधिकारी सुरेंद्र भामर की रिपोर्ट पर जेल में अनियमितता व फर्जी भुगतान के संदर्भ में केंद्रीय भैरवगढ़ जेल में पदस्थ कर्मचारी रिपुदमन सिंह पिता दिनेश को धोखाधड़ी व अन्य धाराओं का आरोपी बनाया है। एडिशनल एसपी अभिषेक आनंद ने बताया कि फरार बाबू रिपुदमन के घर नोटिस चस्पा कर दिया गया है। उसके बैंक खाते सीज किए जाएंगे। कॉल डिटेल की जांच होगी। जांच में जो भी धोखाधड़ी में लिप्त होंगे, उन सभी पर कार्रवाई होगी।

डीपीऍफ़ (डिपार्टमेंट प्रोविडेंट फंड) विभाग के तृतीय श्रेणी और चतुर्थ श्रेणी के ऐसे कर्मचारी जो जीपीएफ की श्रेणी में नही आते है उनका डीपीऍफ़ काटा जाता है जो उनके रिटायर्मेंट के दोरान या आवश्यकता के अनुसार उनकी मांग पर उन्हें दिया जाता है , जेल हुए हुए घोटाले में भी जो पैसा निकाला गया है वह तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के उन कर्मचारियों का पैसा है जो जीपीएफ की श्रेणी में ना आकर डीपीऍफ़ कटवाते थे |

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