उज्जैन – सेन्ट्रल जेल भेरुगढ़ उज्जैन में हुए डीपीएफ घोटाले के मामले में पुलिस की जाँच पिछले एक पखवाड़े से चल रही है मामले में पुलिस ने 3 बाहरी आरोपियों की भी गिरफ़्तारी कर ली है , जिनके बैंक खातो में पैसो का ट्रांसफर हुआ था ,लेकिन घोटाले में शामिल जेल के पहरी रिपुदमन , सिकरवार और लोधी अब भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है |
भेरुगढ़ थाना पुलिस ने बुधवार सुबह गबन मामले में मुख्य आरोपी माने जाने वाले अकाउंटटेड रिपुदमन के शासकीय घर पर दबिश देते हुए घर पर लगे ताले को पंचनामा बना कर तोड़ दिया और घर की सर्चिंग की गई, पुलिस को मोके से कई अहम दस्तावेज मिले है जिसमे रिपु के द्वारा की गई खरीददारी के बिल भी शामिल है ,|
रिपुदमन ने शहर के डीपी ज्वेलर्स से लाखो रूपये के आभूषण की खरीददारी की है इस बात की पुष्टि रिपुदमन के घर से मिले ज्वेलरी के बिल बता रहे है|भेरुगढ़ थाना पुलिस सहित जाँच के लिए बनाई गई टीम लगातार इस मामले में काम कर रही है वही फरार चल रहे आरोपी की गिरफ्तारी के भी प्रयास किये जा रहे है
इस मामले में अब तक जांच में पुलिस ने 6 आरोपी बनाए हैं। तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि तीन आरोपी फरार हैं। रिपुदमन इस कांड का मुख्य आरोपी है। उसके शासकीय आवास पर गुरुवार को जांच टीम पहुंची। घर में लगे ताले को तोड़कर कर करीब एक घंटे तक छानबीन करती रही।
भैरवगढ़ टीआई प्रवीण पाठक ने बताया कि टीम को दस्तावेज मिले हैं, जिसमें कर्मचारियों के डीपीएफ और डीपी ज्वेलर्स के बिल के साथ कुछ दस्तावेज हैं। माना जा रहा है कि रिपुदमन फरार होने से पहले घर से कागजात लेकर भागा है। पुलिस ने आरोपी के मकान पर नोटिस चस्पा कर कार्रवाई की थी। आरोपी रिपुदमन पर केस दर्ज है। वह पिछले 12 दिन से फरार है। रिपुदमन के पकडे जाने के बाद कई और नामों का भी खुलासा हो सकता है।
क्या होती है पैसे निकलवाने की प्रोसेस
जेल अधीक्षक को आवेदन दिया जाता है ,उक्त अधिकारी उस पर रिमार्क करके अकाउंट सेक्शन में भेजता है अकाउंट सेक्शन का कर्मचारी उसमें भरी जानकारी को चेक कर उच्च अधिकारी के डिजिटल सिग्नेचर की अनुमति लेकर उसे पास करता है , पैसा सेंसन होने से लेकर अकाउंट में आने तक एक एक स्टेप का मेसेज सम्बंधित आवेदक के मोबाइल पर जाता है |
हुआ क्या —आवेदन फर्जी बनाए गए , मोबाइल नंबर को हटा कर लेंड लाइन नंबर का उपयोग किया गया डिजिटल सिग्नेचर का उपयोग किया गया |और पेमेंट निकाला गया
जेल अधीक्षक पर संदेह
विभागीय सिस्टम के अनुसार कोई भी कर्मचारी छुट्टी से लेकर पैसो के लेनदेन या विभाग से सम्बंधित किसी भी काम के लिए अपने अधिकारी के पास जाता है ना की कर्मचारी के पास , पैसो के लेनदेन के लिए पहरी को आवेदन लेकर जेल अधीक्षक के पास जाने का प्रावधान है और उस आवेदन को लेकर जेल अधीक्षक अपनी टीप डालने के बाद सम्बंधित विभाग के लिए काम करने वाले को फारवर्ड करते है ,लेकिन यह ऐसा कुछ नजर नही आ रहा यानी उक्त आवेदनों पर अगर जेल अधीक्षक की टीप डली है या नही ये बात भी घोटाले के खुलासे के लिए अहम है

