नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (16 अक्टूबर) को जांच एजेंसियों ED-CBI से पूछा कि दिल्ली शराब नीति केस में मनीष सिसोदिया पर आरोप कब तय होंगे। आप उन्हें अनिश्चितकाल के लिए हिरासत में नहीं रख सकते।जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
बेंच ने जांच एजेंसियों की तरफ से पेश एडीशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से पूछा- एक बार किसी केस में चार्जशीट दायर हो जाने के बाद, आरोपों पर बहस तुरंत शुरू होनी चाहिए। निचली अदालत में सिसोदिया के खिलाफ आरोपों पर बहस कब शुरू होगी।
ASG राजू ने आरोपी से सरकारी गवाह बने दिल्ली के कारोबारी दिनेश अरोड़ा के बयान का हवाला दिया और दावा किया कि उन्होंने जांच एजेंसियों को उस रिश्वत के बारे में भी बताया जो सिसोदिया ने ली थी। ASG ने कहा, ”उन्होंने (अरोड़ा) अपने बयान में कहा है कि उन्होंने पहले सिसोदिया के बारे में इसलिए नहीं बताया क्योंकि उन्हें डर था कि उन्हें नुकसान पहुंचाया जाएगा।”
बेंच ने यह भी पूछा कि क्या भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17ए के तहत सिसोदिया के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए परमिशन ली गई है, जिस पर राजू ने हां में जवाब दिया। यह धारा पुलिस अधिकारी के लिए किसी लोक सेवक के अपराध की जांच करने के लिए परमिशन लेने की अनिवार्यता बताती है।
शराब घोटाला मामले में दिल्ली के पूर्व डिप्टी CM मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर 12 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई टल गई। लाइव लॉ वेबसाइट के मुताबिक, इस केस के सुनवाई करने वाले जज जस्टिस संजीव खन्ना किसी और मामले की सुनवाई में बिजी थे। इससे पहले 5 अक्टूबर को कोर्ट ने जांच एजेंसी ED से पूछा था कि आखिर सिसोदिया के खिलाफ सबूत कहां हैं?
