उज्जैन (बड़नगर ) | बडनगर तहसील के ग्राम रुनिजा रोड स्थित अपने खेत पर बने टीन सेट में बैठे किसान की मोबाइल चार्ज करने के दोरान मोबाइल में विस्फोट होने से म्रत्यु हो गई , चार्जिंग पर लगे मोबाइल में विस्फोट इतने जोर से हुआ की उक्त युवक के शरीर पर गंभीर चोट आई और अति रक्त बहाव होने से मौत हो गई , बडनगर के रुनिजा के रहने वाले दयाराम बारोड के रूप में मृतक की पहचान हुई है , प्रथम दृष्टया मोबाइल फोन में विस्फोट होने से दयाराम की म्रत्यु होना लगता है क्योकि मोके से मोबाइल के जले हुए पार्ट्स प्राप्त हुए, मोके पर देखने को मिला है की मोबाइल फोन पूरी तरीके से फट चुका है और जगह जगह बिखरा पाया गया है वही इलेक्ट्रिक बोर्ड भी जला हुआ पाया , जिससे साफ़ नजर आता है की मोबाइल चार्जिग के दोरान मोबाइल फट गया जिसके कारण दयाराम की मृत्यु हुई है अब पुरे मामले में पुलिस जांच कर रही है वही एफएस एल की टीम भी मोके पर जाँच कर अपनी रिपोर्ट देगी , फ़िलहाल मृतक का पोस्टमार्टम करवाया जाएगा और मामले में मार्ग कायम कर आगे की कार्यवाही होगी |
आखरी बार दोस्त ने लगाया था कॉल, उठाते ही मोबाइल में हुआ विस्फोट और बंद हो गया फोन
दयाराम के खेत के ऊपर से हाईटेंशन लाइन भी निकली है। सोमवार को उन्हें अपने दोस्त दिनेश चावड़ा के साथ गमी के एक कार्यक्रम में इंदौर जाना था। दिनेश ने रेलवे स्टेशन जाकर उनके लिए भी इंदौर जाने का टिकट ले लिया था। जब काफी देर तक वे स्टेशन नहीं पंहुचे तो दोस्त दिनेश ने उन्हें फोन लगाया। फोन उठाते ही मोबाइल बंद हो गया। इसके बाद फोन लगातार बंद आता रहा। जिसके बाद दिनेश उन्हें देखने खेत पर पहुंचे, तो वहां का नजारा देख उनके होश उड़ गए। उन्होंने पुलिस को इस बात की खबर दी।
विस्फोट ऐसा था की गर्दन से सीने तक का हिस्सा और एक हाथ उड़ा
उक्त घटना की सूचना मिलते ही टीआई मनीष मिश्रा और एसआई जितेंद्र पाटीदार मौके पर पहुंचे। बुजुर्ग की गर्दन से लेकर सीने तक का हिस्सा और एक हाथ पूरी तरह से उड़ा मिला। प्रथम दृष्ट्या जांच में पता चला कि कोई विस्फोट हुआ है। घटना स्थल का निरीक्षण किया तो ओप्पो कंपनी का मोबाइल फोन डिस्मेंटल कंडीशन में मिला है। बिजली पाइंट भी पूरी तरह जला हुआ था। मौके पर अन्य कोई विस्फोटक या ज्वलनशील सामग्री भी नही मिली है। थाना प्रभारी मनीष मिश्रा ने प्राथमिक जांच के आधार पर बताया कि मोबाइल ब्लास्ट होने से ही बुजुर्ग की मौत हुई है। शव को पीएम करवाकर परिजनों को सौंपा है। बुजुर्ग खेती किसानी करते थे। पत्नी की मृत्यु के बाद से ही बच्चों से नहीं बनती थी, इसलिए वे खेत पर ही बने कमरे में अकेले रहते थे।

