उज्जैन | मध्यप्रदेश में आगामी दिनों में विधानसभा चुनाव होना है , ऐसे में दोनों ही प्रमुख दल अपनी अपनी सरकार बनने के दावे कर रहे है , वही पिछले चार बार से प्रदेश के मुख्यमंत्री की कमान संभाल कर बैठे प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चोहान एक बार फिर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनते नजर आ रहे है |
कांग्रेस भलेही सरकार बनने का दावा कर रही हो लेकिन इस प्रकार के आसार मालवा निमाड़ की विधानसभा सीटो से तो नजर नहीं आ रहा है , क्योकि मालवा निमाड़ की सीट ही प्रदेश की सरकार की तस्वीर को साफ़ करती है |
मालवा निमाड़ में आज भी कांग्रेस कमजोर नजर आती है , क्योकि लोकसभा चुनाव में मालवा निमाड़ की भी सभी सीटो को भाजपा को जीत मिली थी जबकि उसके छ:माह पहले ही प्रदेश में विधानसभा 2018 के चुनाव हुए थे और कांग्रेस की सरकार को जनादेश मिला था , बावजूद लोकसभा में कांग्रेस को करारी हार मिली थी |
लाडली बहना योजना का असर
हालाकि दो माह पूर्व तक प्रदेश में कांग्रेस का खासा माहोल बना हुआ था लेकिन जबसे प्रदेश में लाडली बहना योजना की शुरुवात हुई अचानक कांग्रेस क्वे प्रति जनता का रुख ही बदल गया , और प्रदेश में 80 -90 सीट आना भाजपा की मानी जा रही थी जो लाडली बहना योजना के बाद 110 -130 पर पहुच गई है ये चेनलो के C वोटर सर्वे का आंकड़ा है जो हम आपको बता रहे है जबकि कांग्रेस इस योजना के पहले 120-140 के आसपास मानी जा रही थी जो इस योजना के बाद 100-110 पर ही नजर आने लगी है | वही अन्य को 10 सीट का अनुमान लगाया जा रहा है |\
उज्जैन जिले में सात विधानसभा जहा कांग्रेस को संकट
बात मालवा की करे तो यह उज्जैन जिले में सात विधानसभा सीट आती है हम सभी सीट पर नजर डाले तो एक बार फिर यह भाजपा वर्ष 2013 के परिणाम को दोहरा सकती है , भाजपा ने साल 2013 में यह सभी सीटो पर जीत हासिल की थी जबकि कांग्रेस एक भी प्रत्याशी को नहीं जीता सकी थी , वही वर्ष 2018 में जरुर कांग्रेस को इन सात सीटो में से चार हासिल की थी लेकिन 18 महीने में ही कांग्रेस की सरकार गीर गई और उपचुनाव में कांग्रेस को फिर प्रदेश की कई सीटो पर हार का सामना करना पड़ा था | और एक बार फिर भाजपा सरकार बन गई |
हालाकि वर्ष 2018 में भाजपा ने जिन सीटो पर हार का मुह देखा था उन सीटो पर अभी से गलती सुधरने के लिए प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है | जबकि कांग्रेस अपने प्रत्याशियों की सूचि अभी तक जारी नहीं कर सकी है |
भाजपा इस बार प्रत्याशी चयन में अव्वल रही है , उज्जैन को संघ का गढ़ कहा जाता है और यह अंतिम समय में संगठन कांग्रेस की मेहनत पर पानी फेर देता है आगामी दिनों में हुए नगर पालिक निगम में कांग्रेस के महापोर की हार भी संघ के सगठन की अंतिम छन में की गई मेहनत का ही नतीजा है |
उज्जैन की दो सीट पर भी भाजपा के प्रत्याशी घोषित
उज्जैन की तराना और घट्टिया विधानसभा पर भाजपा को पिछले चुनाव में हार का सामना करना पढ़ा था ऐसे में इस बार गलती को सुधारने के लिए पार्टी ने अभी से प्रत्याशी के नाम की घोषणा कर दी है , तराना से पूर्व विधायक ताराचंद गोयल जबकि घट्टिया से पूर्व विधायक सतीश मालवीय को प्रत्याशी बनाया है दोनों ही पार्टी के निर्णय पर खरे उतर सकते है | तराना के प्रत्याशी ताराचंद स्थानीय होने के साथ साथ संगठन के प्रत्याशी माने जाते है इसलिए उनकी स्थिति मजबूत मानी जा रही है क्योकि तराना में भाजपा के कार्यकर्ताओ के साथ संगठन की मांग स्थानीय प्रत्याशी की रही थी |
बडनगर ,महिदपुर नागदा खाचरोद और उज्जैन की दोनों शहरी सीटो पर इस बार भाजपा मजबूत
वर्तमान में उज्जैन शहर की उत्तर और दक्षिण विधानसभा के साथ ही महिदपुर विधानसभा सीट पर भाजपा का ही कब्ज़ा है और ये कब्ज़ा पिछले तीन चुनाव से बना हुआ है ऐसे में इस बार भी इन सीटो पर भाजपा को एक बार फिर मजबूत माना जा रहा है यानी वर्ष 2023 के चुनाव में कांग्रेस को एक बार फिर यह सीट गवानी पढ़ सकती है , जबकि बडनगर की बात की जाए तो पिछले चुनाव में पार्टी के आंतरिक कलह के कारण पार्टी को इस सीट पर हार का मुंह देखना पढ़ा था जबकि पिछले दो चुनाव से यह पर भी भाजपा का कब्ज़ा था ,लेकिन इस बार फिर यह भाजपा को मजबूत माना जा रहा है , क्योकि पिछले चुनाव में भाजपा ने यह पर अंतिम समय में प्रत्याशी बदल दिया था जिसके कारण कार्यकर्ताओ में नाराजगी थी और कांग्रेस का प्रत्याशी जीत गया था इस भाजपा ने अगर कोई गलती नही की तो यह सीट भाजपा के खाते में आ सकती है |
अब बात नागदा खाचरोद की करे तो यह पर एक बार कांग्रेस एक बार भाजपा के विधायक बनने का समीकरण कुछ चुनावो से बनता आ रहा है लम्बे समय तक एक ही पार्टी का प्रत्याशी यह से नहीं जीता है , कांग्रेस का प्रत्याशी जरुर हर बार एक ही रहा है लेकिन उसे भी लगातार बगेर किसी हार के जीत हासिल नहीं हुई है ऐसे में यह पर भी कांग्रेस भाजपा के बिच मुकाबला कडा बना हुआ है |
