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Axiom-4 मिशन: स्पेस में उड़ान भरने से पहले शुभांशु शुक्ला तेयार :शुभांशु समेत चारों एस्टोनॉट स्पेसक्राफ्ट में सवार हुए:दोपहर 12 बजे स्पेस स्टेशन के लिए उड़ान भरेंगे

SpaceX spacecraft: भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला आज स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट से अंतरिक्ष की उड़ान भरने जा रहे हैं. वह भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री होंगे.

 AXIOM-4 Mission कुछ ही पल में रवाना हो जाएगा। इस मिशन से जुड़ी कंपनी स्पेसएक्स ने कहा है कि मौसम 90 फीसदी अनुकूल है। इस मिशन में कई देशों की साझेदारी है। भारत की ओर से शुभांशु शुक्ला मिशन क्रू के हिस्सा हैं।

भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन और एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय होंगे। इससे पहले साल 1984 में अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष की यात्रा की थी। राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष से कहा था, ‘सारे जहां से अच्छा हिंदुस्ता हमारा’

 

भारत एक बार फिर अंतरिक्ष की ऊंचाइयों को छूने के लिए तैयार है. देश की नजरें टिकी हैं ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला पर, जो चार दशकों बाद भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री बनने जा रहे हैं. जैसे-जैसे लॉन्च का समय नजदीक आ रहा है, टीवी स्क्रीन पर स्पेसएक्स के अंतरिक्ष यान की झलकियां उत्साह को और बढ़ा रही हैं. यह ऐतिहासिक उड़ान भारत की वैज्ञानिक क्षमता का प्रतीक है.

 

कहां से होगा प्रक्षेपण
स्पेसएक्स का क्रू ड्रैगन अंतरिक्ष यान, फाल्कन-9 रॉकेट के ज़रिए अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर के लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39A से दोपहर 12:01 बजे उड़ान भरेगा. यही वह ऐतिहासिक स्थान है, जहां से 1969 में नील आर्मस्ट्रॉन्ग ने अपोलो-11 मिशन के तहत चंद्रमा के लिए उड़ान भरी थी. इस मिशन में भारत के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के साथ पोलैंड के स्लावोश उज्नांस्की-विस्न्येवस्की, हंगरी के तिबोर कापू और अमेरिका की अनुभवी कमांडर पेगी व्हिटसन शामिल हैं.

1984 के बाद दूसरी बार भारत का अंतरिक्ष में प्रतिनिधित्व
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला भारतीय वायुसेना के अनुभवी पायलट हैं, और राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले भारत के दूसरे नागरिक बनेंगे. राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत मिशन के अंतर्गत उड़ान भरी थी. शुक्ला को मिशन से पहले एक महीने से ज्यादा समय तक कड़े क्वारंटीन में रखा गया ताकि उनकी सेहत पूरी तरह सुरक्षित रहे.

वैज्ञानिक मिशन और भारत की हिस्सेदारी
यह सिर्फ एक यात्रा नहीं बल्कि 15 दिन का एक वैज्ञानिक मिशन है – “एक्सियम-4 मिशन”. इस दौरान कुल 60 वैज्ञानिक प्रयोग किए जाएंगे, जिनमें 7 भारत द्वारा प्रस्तावित हैं. यह भारत की वैज्ञानिक सोच और वैश्विक शोध में योगदान का प्रमाण है. मिशन अंतरराष्ट्रीय सहयोग और तकनीकी साझेदारी का बेहतरीन उदाहरण है.

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