उज्जैन || हर साल की तरह इस बार भी दीपावली के दुसरे दिन उज्जैन से करीब ६० किलोमीटर दूर गांव भिडावत में गाय और गोरी पूजन की परम्परा को पूरा किया गया , दरअसल गाय और गोरी पूजन की ये परम्परा गांव में सालो से चली आ रही है और इस पम्परा के तहत गांव के युवा मन्नत रखते है और मनोकामना पूरी होने पर आज के दिन सड़क पर लेट जाते है|
और इनके उपर से सेकड़ो गाय दौड़ाई जाती है , इस के लिए गांव के सभी ग्रामीण अपने अपने घरो की गाय को एक जगह एकत्रित करते है उन्हें सजाते है उनका पूजन करते है जिसके बाद गाय और गोरी उत्सव मनाया जाता है , हालाकि हम इसे आस्था के नाम पर एक अन्धविश्वास ही कहेंगे क्योकि इस पम्परा के नाम पर गांव के युवा अपनी जान को जोखिम में डालते है , खास बात यह है की आज तक यह किसी को कोई हानि नहीं पहुंची है |
राजगढ़ के सारंगपुर में मनाया जाता है छोड़ा उत्सव
राजगढ़ जिले के सारंगपुर ब्लाक के गांव सुल्तानिया में आज भी वर्षों पुरानी छोड़ा परंपरा का निर्वाहन किया जा रहा हे ग्रामीण सभी धर्म जाति के इकट्ठे होकर भाईचारे से गो क्रीड़ा करते हे जिसमें दोना को चमड़े में बांधकर गाय के पास ले जाया जाता हे और गाय उसमें सींग मारकर दूर भगाती हे ।
यह खेल पुरातन काल में भगवान देवनारायण ने चलाया था जिसे आज भी ग्रामीण बखूबी निभा रहे हे ।समाजसेवी जगदीश धाकड़ ,गिरवर नागर ने बताया कि धार्मिक भाईचारे से इस परम्परा को निभाते हे सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक यह उत्सव चलता हे इसे देखने जिलेभर से हजारों लोगों का हुजूम उमड़ता हे।ग्रामीण इसे परम्पर के साथ गो पालन का भी एक माध्यम बताते हे।

