भोपाल || मध्यप्रदेश के नए DGP के नाम की घोषणा हो गई है , 1988 बैच के आईपीएस ऑफिसर कैलाश मकवाना प्रदेश के नए डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) होंगे। सीएम डॉ. मोहन यादव के विदेश यात्रा पर जाने के बाद शनिवार देर रात गृह विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए है।
कैलाश मकवाना वर्तमान में मप्र पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन के चेयरमैन हैं। अब वे एमपी के 32वें डीजीपी होंगे। आदेश के मुताबिक प्रदेश के होने वाले नए DGP मकवाना 1 दिसंबर 2024 को प्रदेश के नए पुलिस मुखिया के रूप में पदभार ग्रहण करेंगे। वे वर्तमान डीजीपी सुधीर सक्सेना की जगह लेंगे। इनका कार्यकाल भी एक वर्ष का ही रहेगा क्योकि कैलाश मकवाना भी दिसंबर 2025 में रिटायर हों जाएँगे ।
वही वर्तमान में प्रदेश के डीजीपी की जिम्मेदारी संभालने वाले सुधीर सक्सेना 30 नवंबर 2024 को रिटायर हो रहे हैं। सुधीर सक्सेना को 4 मार्च 2020 को डीजीपी नियुक्त किया गया था।
कैसा रहा शैक्षणिक सफर
कैलाश मकवाना ने बीई किया है. इसके अलावा एमटेक की भी पढ़ाई की है. कैलाश मकवाना की एक्स प्रोफाइल पर उन्होंने खुद के बारे में बताया है कि वे आईआईटी से एमटेक हैं. वर्ष 2022 में विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त में महानिदेशक बनाया गया था. इस दौरान उन्होंने एक आईएएस और एक आईएफएस अफसर के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला भी दर्ज कराया था.

मकवाना की तबादले से जुड़ी कहानी
सीनियर IPS कैलाश मकवाना का साढ़े तीन साल के अंदर सात बार तबादला हुआ था. कमलनाथ सरकार के दौरान एक साल में ही वे तीन बार इधर से उधर किए गए थे.
- 2019 में 10 फरवरी-एडीजी इंटेलिजेंस, 1 अक्टूबर- एडीजी प्रशासन
- 2020 में 20 फरवरी-एडीजी नारकोटिक्स, 31 मार्च- एडीजी सीआईडी
- 2021 में 1 दिसंबर-चेयरमैन मप्र पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन
- 2022 में 31 मई -महानिदेशक लोकायुक्त संगठन
- 2024 में 2 दिसंबर- चेयरमैन मप्र पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन
महाकाल लोक से जुड़े भ्रष्ट्राचार की जाँच कर रहे थे मकवाना
दरअसल IPS कैलाश मकवाना ने जब से लोकायुक्त DG की कमान संभाली थी, तभी से भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई में तेज हो गई थी। प्रदेश सरकार की ओर से बनाए गए बहुचर्चित महाकाल कॉरिडोर में कथित घोटाले की जांच भी कैलाश मकवाना ने ही शुरू कराई थी। इसके अलावा मकवाना के आने से भ्रष्टाचारी अधिकारियों पर शिकंजा कसा जा रहा था। इतना ही नहीं मकवाना के रहते भ्रष्ट सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ लगातार छापे की कार्रवाई हुई। यहा तक की उन्होंने अपने स्टाफ को भ्रष्ट अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए फ्री हैंड दे रखा था।

