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सुप्रीम कोर्ट पहुंचा हाऊसिंग बोर्ड की शिवांगी परिसर जमीन से जुडा मामला
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सुप्रीम कोर्ट में हाऊसिंग बोर्ड की याचिका स्वीकार अगली सुनवाई तक रहेगी यथा स्थिति
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शिवांगी परिसर में विभाग बना रहा था 100 से अधिक मकान
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कांग्रेस की कमलनाथ सरकार में हाऊसिंग बोर्ड को मिला था जमीन पर कब्ज़ा
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जमीन पर भूमाफियाओ की नजर
उज्जैन। हाऊसिंग बोर्ड और किसान के बीच विवाद में घिरी इंदौर रोड पर गोयला खुर्द की सर्वे नंबर 38 /1/2 रकबा 3.093 हैक्टेयर जमीन का विवाद अब सुप्रीम कोर्ट पहुच चूका है , मामले में हाईकोर्ट की सिंगल और डबल बेंच से किसान को राहत मिलने के बाद हाऊसिंग बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी है | सूत्रों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका को स्वीकार भी कर लिया गया है , मामले में आगामी सुनवाई तक यथा स्थिति के निर्देश दिए गए है |

इंदौर रोड स्थित उक्त जमीन को हाऊसिंग बोर्ड ने किसान से अधिग्रहण किया था जिसका मुआवजा भी पारित कर दिया गया था उक्त जमीन पर किसान से कब्ज़ा लेने में हाऊसिंग बोर्ड को सालो लग गए लेकिन साल 2018 में उक्त जमीन पर कब्जे को लेकर हाऊसिंग बोर्ड सक्रीय दिखा और कांग्रेस की कमलनाथ सरकार में कलेक्टर शशांक मिश्र के निर्देश पर हाऊसिंग बोर्ड ने उक्त जमीन पर कब्ज़ा हासिल किया |
हाऊसिंग बोर्ड ने कब्ज़ा प्राप्त करने के बाद ही खाली जमीन पर शिवांगी परिसर के नाम से अपना प्रोजेक्ट लांच कर दिया , मप्र हाउसिंग बोर्ड की शिवांगी परिसर इंजीनियरिंग कॉलेज के सामने बनाई जा रही थी । प्राइम लोकेशन होने के कारण हाऊसिंग बोर्ड को अच्छा रिस्पांस उक्त प्रोजेक्ट में मिल रहा था यहां ृ100 से अधिक मकान बनाने की योजना थी । करीब 8 माह में काम पूरा करने का टारगेट था, लेकिन भूमि को लेकर हाईकोर्ट में दायर याचिका के बाद अगली सुनवाई तक यहां काम रोक दिया गया था ।
हाई कोर्ट में प्रकरण जाने के बाद एमपी हाऊसिंग बोर्ड को यह हार का सामना करना पड़ा सिंगल बेच से हाऊसिंग बोर्ड को झटका लगने के बाद हाई कोर्ट की डबल बेंच में याचिका दायर की गई लेकिन वह से भी हाऊसिंग बोर्ड को रिलीफ नहीं मिली |
वही कोर्ट ने किसान के पक्ष में फैसला सुनाते हुए एक तय समय में किसान की जमीन का नामान्तरण आदि करने के निर्देश भी दे दिए |

हाईकोर्ट से रिलीफ मिलते ही किसान ने जमीन का कर दिया सोदा
गोयल खुर्द की उक्त जमीन पर हाऊसिंग बोर्ड जो प्रोजेक्ट लेकर आया था उसकी कीमत बाजार मूल्य से 10 गुना कम थी , यही कारन है की उक्त जमीन पर कई बड़े भू सोदगारो की नजरे बनी हुई थी हाई कोर्ट से किसान को जैसे ही रिलीफ मिली , किसान ने शहर के व्यापारियों को उक्त जमीन का सोदा भी कर दिया , जमीन की रजिस्ट्री नामांकन भी करवा दिया गया |
जमीन के सोदे के बाद पंजीयन अधिकारी पर उठने लगे सवाल
हाऊसिंग बोर्ड और किसान के बीच विवाद में चल रही गोयल खुर्द की जमीन को लेकर जैसे ही कोर्ट ने किसान के पक्ष में फैसला सुनाया जमीन का सोदा भी शहर के व्यापारी को कर दिया गया , इसी बीच किसान ने 3.093 हेक्टेयर जमीन की रजिस्ट्री शहर के कालोनाइजर के नाम कर दी , उक्त जमीन का लेंड डायवर्शन हाऊसिंग बोर्ड करवा चूका था लेकिन आरोप लग रहे है की किसान ने कृषि भूमि दर्शा कर रजिस्ट्री कर दी जिसके बाद पंजीयन अधिकारी भी शंका के घेरे में आ गया है |

विवादित गोयल खुर्द की भूमि सर्वे नंबर 38 /1/2 रकबा 3.093 हेक्टेयर की रजिस्ट्री के सम्बन्ध में पंजीयन अधिकारी से प्राप्त जानकारी अनुसार कम स्टाम्प ड्यूटी लगाए जाने एवं कृषि भूमि बताकर रजिस्ट्री कराए जाने के मामले में स्पष्ट किया गया है की विवादित भूमि के पंजीयन में नियम अनुसार अदयतन खसरे में दर्ज आवासीय मद के मान से ही आवासीय व्यपवर्तित भूमि की स्टाम्प शुल्क चुकाया गया है जो की रजिस्ट्री में अंकित है |
हाऊसिंग बोर्ड ले चूका था सभी जरुरी अनुमति
उज्जैन हाऊसिंग बोर्ड के AE के अनुसार गोयल खुर्द की सर्वे नंबर 38 /1/2 रकबा 3.093 हैक्टेयर जमीन शिवांगी परिसर के नाम से कालोनी और व्यावसायिक प्रोजेक्ट लाने वाला था जिसको लेकर नगर निगम से विकास अनुमति , TNC से अनुमति , रेरा अदि प्रक्रिया को पूरा कर चूका था , हाई कोर्ट के आदेश के बाद तहसील कार्यलय में उक्त जमीन के नामांकन पर रोक के लिए भी आपत्ति ली गई वही जिला कलेक्टर को भी पत्र लिखा गया लेकिन किसी भी जगह से हाऊसिंग बोर्ड को राहत नहीं मिली |




अधिकारियों के अनुसार योजना को रेरा से अनुमति मिलने के बाद यहां निर्माण कार्य शुरु कर दिया गया था और करीब 27 मकान ठेकेदार ने बनाने भी शुरू कर दिए है। शेष मकानों के लिए काम अभी शुरुआती दौर में था। यहां फ्रीहोल्ड मिलने वाले मकानों की कीमत 16 से लेकर 62 लाख रुपए तक रखी गई है। विभाग ने दावा किया था कि मकानों की बुकिंग होने के बाद 2024 तक लोगों को उनके घर आवंटित कर दिए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि हाउसिंग बोर्ड की शिवांगी परिसर इंजीनियरिंग कॉलेज के सामने गोयलाखुर्द की 3 .0938 हैक्टेयर जमीन पर विकसित की जा रही है। प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारी निर्मल गुप्ता ने बताया कि यहां पर एलआइजी, एमआइजी व डब्ल्यूएस श्रेणी के 138 मकान बनाने की योजना है। हाउसिंग बोर्ड को कॉलोनी निर्माण के लिए ग्राम एवं नगर निवेश (टीएनसीपी) व नगर निगम से पहले ही अनुमति मिल गई है। वहीं शासन परिसर विकसित करने के लिए 41 करोड़ रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति भी हो चुकी है। विभाग ने रेरा से पंजीयन के लिए आवेदन किया था, इसकी (पी-उज्जैन-23-3894) स्वीकृति भी मिल गई थी। इसके बाद विभाग ने मकानों की बुकिंग के लिए विज्ञापन भी जारी कर दिया था। यहां मकानों का आवंटन पंजीयन के माध्यम से यानी लॉटरी द्वारा किया जाना सुनिश्चित किया गया है।
हाई कोर्ट के आदेश के बाद खरीददारों को पैसे लोटाने को तेयार हाऊसिंग बोर्ड
जमीन विवाद में हाई कोर्ट से हार के बाद हाऊसिंग बोर्ड ने जिन लोगो को लाटरी से मकान खुले थे उनके द्वारा जमा की गई राशी को लौटाने का मन बना लिया जिसमे से कई लोगो को पैसे लौटा भी दिए गए है जबकि कई लोगो को अभी भी हाऊसिंग बोर्ड और सुप्रीम कोर्ट पर विश्वास है जिसके चलते वह हाऊसिंग बोर्ड से पैसे प्राप्त नहीं कर रहे है |
क्या चल रहा विवाद
गोयला खुर्द की भूमि को प्रशासन ने 2008 में हाउसिंग बोर्ड को अलाट की थी, लेकिन मालिकाना हक को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट तक चला था। मंडल के केस जितने पर भी किसान कब्जा छोडऩे को तैयार नहीं थे। नतीजतन वर्ष 2011-12 में अतिक्रमणकारियों को हटाने के दौरान पथराव तक हो गया था। हालांकि मशक्कत के बाद तात्कालीन एसडीएम नरेंद्र सूर्यवंशी (अब अन्य जिले के कलेक्टर ) ने जमीन मुक्त करवा ली थी, लेकिन कोई योजना नहीं होने पर पुन: कब्जा हो गया था, जिसे वर्ष 2020 में कांग्रेस की सरकार में कलेक्टर शशांक मिश्र ने एसडीएम् संजीव साहू को उक्त जमीन का मामला सोपा जिनके प्रयास से हाऊसिंग बोर्ड ने पुलिस प्रशासन की मोजुदगी में जमीन मुक्त करवाई ।
इनका कहना …
जमीन पर हाऊसिंग बोर्ड प्रोजेक्ट ला चूका था सभी जरुरी परमिशन भी ली जा चुकी थी हायकोर्ट से हमारे पक्ष में फैसला ना होने के पर हमारे वकील सुप्रीम कोर्ट में अपनी बात रखेंगे जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट में 09 सितम्बर 2024 को याचिका दायर कर दी गई है जिसे सुप्रीम कोर्ट में स्वीकार भी कर लिया गया है निर्मल कुमार गुप्ता AE हाऊसिंग बोर्ड उज्जैन हाऊसिंग बोर्ड के लिए हाई कोर्ट में मजबूती से अपना पक्ष रखा गया हम दस्तावेजो के आधार पर मजबूत है लेकिन कोर्ट का फैसला सर्वोपरि है , हमने हाऊसिंग बोर्ड को सुप्रीम कोर्ट में जाने की सलाह दी है | सुनील जैन सीनियर हाई कोर्ट अधिवक्ता हाउसिंग बोर्ड उज्जैन अदयतन खसरे में दर्ज आवासीय मद के मान से ही आवासीय व्यपवर्तित भूमि की स्टाम्प शुल्क चुकाया गया है जो की रजिस्ट्री में अंकित है | प्रज्ञा शर्मा पंजीयन अधिकारी
