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भोपाल का कचरा बना खतरा : क्या इंदौर के साथ उज्जैन को भी है इससे खतरा

पीथमपुर / भोपाल / इंदौर / उज्जैन ||  मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से यूनियन कार्बाइड का 337 मीट्रिक टन जहरीला कचरा लेकर 12 कंटेनर गुरुवार अलसुबह पीथमपुर की रामकी एनवायरो कंपनी पहुंच गए । इस कचरे को वैज्ञानिक तरीके से जलाने की प्रक्रिया जा रही  है।

कचरे के निष्पादन के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। स्थानीय लोगों के विरोध को देखते हुए कंपनी और आसपास के इलाके में पुलिस बल तैनात किया गया है। कचरे को जलाने की पूरी प्रक्रिया को वैज्ञानिक मानकों और सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के अनुसार अंजाम दिया जा रहा है।

पीथमपुर बस स्टैंड पर बड़ी संख्या में स्थानीय लोग और सामाजिक संगठन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि इस जहरीले कचरे को अन्यत्र नष्ट किया जाए, क्योंकि इसे पीथमपुर में जलाने से पर्यावरण और स्वास्थ्य पर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।

भोपाल का जहरीला कचरा कंटेनर से पीथमपुर पहुंचा

वहीं सरकार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि यह कचरा सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के निर्देशों के तहत जलाया जा रहा है। परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रक्रिया से पर्यावरण पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेग। प्रशासन और जनप्रतिनिधियों द्वारा प्रदर्शनकारियों को समझाने की कोशिश की जा रही है। सरकार ने यह भी कहा है कि कचरे के निष्पादन में हर संभव सुरक्षा उपाय अपनाए जा रहे हैं।

यह कचरा 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के बाद से बड़ी चुनौती बना हुआ था। इसके निपटान के लिए वैज्ञानिक प्रक्रिया अपनाई जा रही है, लेकिन स्थानीय विरोध को देखते हुए सरकार को जनता को और अधिक विश्वास में लेने की आवश्यकता है।

यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के निष्पादन की प्रक्रिया परीक्षण चरण से शुरू की गई है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाते हुए इसे चरणबद्ध तरीके से जलाया जाएगा।

परीक्षण की प्रक्रिया:

  • पहला चरण: – 90 किलोग्राम कचरे को भस्मक (इंसीनरेटर) में जलाया जाएगा।
  • दूसरा चरण:-यदि पहला चरण सफल होता है, तो 180 किलोग्राम कचरे को भस्मक में जलाने का परीक्षण होगा।
  • तीसरा चरण:-इसके बाद 270 किलोग्राम कचरे को भस्मक में जलाया जाएगा।

वैज्ञानिक मानकों के अनुसार प्रक्रिया

इस दौरान विज्ञानियों की टीम यह मूल्यांकन करेगी कि कौन-सी मात्रा उचित निष्पादन के लिए सुरक्षित और प्रभावी है। कचरे के जलने से उत्सर्जित गैसों और अन्य तत्वों की सतर्कता से निगरानी की जाएगी। परीक्षण के बाद ही पूर्ण मात्रा में कचरे के निष्पादन की प्रक्रिया शुरू होगी।

बतादें यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को पहले भी 2015 में पीथमपुर स्थित भस्मक (इंसीनरेटर) में जलाया गया था। यह परीक्षण 13 अगस्त 2015 को किया गया था, जिसमें 10 टन कचरा निपटान के लिए भेजा गया था। तीन दिनों तक परीक्षण के तौर पर कचरा जलाया गया। प्रति घंटे 90 किलोग्राम कचरा भस्मक में जलाने की प्रक्रिया अपनाई गई।

परीक्षण के बाद CPCB ने रिपोर्ट प्रस्तुत की। रिपोर्ट में निष्कर्ष दिया गया कि कचरे का निष्पादन पर्यावरणीय और स्वास्थ्य मानकों के अनुरूप है। इसके आधार पर उच्च न्यायालय ने पीथमपुर में कचरे के निपटान की अनुमति दी।

2015 के सफल ट्रायल रन को आधार मानते हुए, अब बड़े पैमाने पर 337 मीट्रिक टन कचरे का निष्पादन शुरू किया गया है। परीक्षण प्रक्रिया के तहत चरणबद्ध तरीके से कचरे को जलाने की तैयारी की जा रही है। वर्तमान में उच्च न्यायालय और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की स्वीकृति के बाद ही यह प्रक्रिया दोबारा शुरू की गई है।

 पीथमपुर के रामकी में जलने वाले कचरा कर सकता है यशवंत सागर बांध को प्रभावित

पीथमपुर की फैक्ट्री का गंदा पानी यशवंत सागर बांध में मिल सकता है। पीथमपुर में कई उद्योग हैं जो अपने औद्योगिक अपशिष्ट को आसपास के जल स्रोतों में छोड़ते हैं। यशवंत सागर बांध पीथमपुर के पास स्थित है और यह बांध आसपास के क्षेत्रों से आने वाले जल को संग्रहीत करता है।

पीथमपुर की फैक्ट्री का गंदा पानी यशवंत सागर बांध में मिलने से बांध के जल की गुणवत्ता खराब हो सकती है। इससे बांध के जल में प्रदूषक तत्वों की मात्रा बढ़ सकती है, जो आसपास के लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है।

इसके अलावा, यशवंत सागर बांध का जल आसपास के क्षेत्रों में सिंचाई और पीने के लिए उपयोग किया जाता है। यदि बांध का जल प्रदूषित होता है, तो इससे आसपास के लोगों के स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

इसलिए, यह बहुत जरूरी है कि पीथमपुर की फैक्ट्री के गंदे पानी को यशवंत सागर बांध में मिलने से रोकने के लिए उचित उपाय किए जाएं।

यशवंत सागर  हुआ दूषित तो  गंभीर नहीं रहेगा अछूता

इंदौर के यशवंत सागर बांध का पानी जब डेम ओवर फ्लो होता है तो छोड़ा जाता है और यह पानी उस दोरान उज्जैन के गंभीर डेम में आकर मिलता है , अगर पीथमपुर की फेक्ट्री रामकी में यूनियन कार्बाइड का कचरा नष्ट किया गया और यह हवा पानी के माध्यम से यशवंत डेम में मिलता है तो यह दूषित पानी उज्जैन के गंभीर डेम को भी प्रभावित करेगा , गंभीर डेम ही उज्जैन की जनता के जल श्रोत का साधन है ,

इसी डेम के पानी को फ़िल्टर कर शहर की जनता को पिने के लिए उपलब्ध करवाया जाता है , अगर यह पानी भी यूनियन कार्बाइड से दूषित हुआ तो ना सिर्फ  इंदौर बल्कि उज्जैन भी आने वाले समय में गंभीर बीमारियों का शिकार हो सकता है  |

नागदा की फेक्ट्री और गांव परमार खेडी इसका उदाहरण

उज्जैन से 40 किलोमीटर दूर नागदा तहसील जो की बड़े उद्योग से घिरा हुआ है यह संचालित होने वाले उद्योगों का गन्दा पानी जब छोड़ा जाता है तो वह सीधे चम्बल नदी में जाकर मिलता है जिससे आसपास के लोगो के जनजीवन और खेती पर खासा प्रभाव पढ़ रहा है  ,  ग्रासिम इंडस्ट्रीज पर कई बार  आरोप लगे  है कि वो केमिकल युक्त पानी को खुली भूमि पर डाल रहा है, जिससे मिट्टी और पानी को नुकसान पहुंच रहा है।

नागदा का परमार खेडी गांव जहा दिव्यांग होते बच्चे

परमार खेडी इसका उदहारण भी है  यह गांव नागदा तहसील से 12 किलोमीटर दूर है. नागदा में बड़े उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषित कचरे की वजह से आस-पास के गांवों में भारी प्रदूषण है. परमार खेड़ी गांव भी इस प्रदूषण से प्रभावित है और यहां के लोगों का आरोप है कि फैक्ट्रियों से निकलने वाले प्रदूषण की वजह से यहां के बच्चे दिव्यांग हो रहे हैं. इस गांव में 177 घर हैं और यहां 48 से ज़्यादा लोग दिव्यांग हैं. यहां के मेहतवास इलाके को लोगों ने कैंसर कॉलोनी नाम दे दिया है.

पीथमपुर में विरोध जारी दो लोगो ने किया आत्मदाह का प्रयास

पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के जहरीले कचरे के निष्पादन का विरोध शनिवार को तीसरे दिन भी जारी है। आज सुबह करीब 10 बजे तारपुरा गांव से लगी रामकी एनवायरो इंडस्ट्रीज की फैक्ट्री पर पथराव किया गया। इसमें कुछ वाहनों के कांच टूट गए। इसके बाद पुलिस ने लोगों को फैक्ट्री के पास से खदेड़ा।

आन्दोलन के दोरान दो युवको ने खुद पर पेट्रोल दाल कर आत्मदाह का प्रयास किया

मौके पर तैनात एसडीएम प्रमोद कुमार गुर्जर ने बताया- पथराव की वजह एक अफवाह को बताया जा रहा है। ये अफवाह फैलाई गई थी कि भोपाल से आए कंटेनरों को खोलकर यहां कचरा अनलोड किया जा रहा है। यह भी कहा गया कि अनलोडिंग में एक मजदूर घायल हुआ है। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ है। कोई कंटेनर नहीं खोला गया है। मैंने खुद सभी कंटेनरों को चेक किया है।

उन्होंने कहा कि इलाके में पूरी तरह शांति है। स्थिति हमारे नियंत्रण में है। फैक्ट्री परिसर और इसके 100 मीटर दायरे में प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किए गए हैं। इसका उल्लंघन करने वाले पर कार्रवाई की जाएगी।

इधर शुक्रवार को भी यह प्रदर्शन हुआ और प्रदर्शन के दोरान पूरा पीथमपुर बंद रहा , विरोध के दोरान दो युवको ने खुद पर पेट्रोल डाल कर आत्मदाह करने का प्रयास किया , जिनकी हालत नाकुक बनी हुई है और दोनों को ही इंदौर के चोइथराम अस्पताल में उचार दिया जा रहा है |

सूत्रों ने बताया कि आज दोपहर दो बजे एसीएस राजेश राजौरा पीथमपुर जाने वाले हैं। वे यहां जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक करेंगे।

चक्काजाम करने वालों पर तीन FIR

पीथमपुर में शुक्रवार को बंद के दौरान हुए प्रदर्शन के सिलसिले में पुलिस ने तीन मुकदमे दर्ज किए हैं। बरदरी चौराहा, सवारियां मंदिर और आजाद चौराहे पर चक्काजाम करने वाले अज्ञात आरोपियों के खिलाफ 383, 341,149, 147 धाराओं के तहत FIR की गई हैं।

क्या है जहरीले कचरे का इतिहास 

साल 1984 में 2 और 3 दिसंबर की रात भोपाल के लिए कभी न भूल पाने वाली सुनामी लेकर आई. उस रात जब लोग बिस्तर पर सोने जा रहे थे, उन्हें नहीं पता था कि अब वो कभी सोकर नहीं उड़ेंगे. वहीं जो लोग जाग रहे थे, उनको तो समझ ही नहीं आया कि हो क्या रहा है. मिर्ची के जलने की तरह तीखी गंध लोगों को बेचैन कर रही थी, आंखों में तेज जलन हो रही थी. लोग जब तक इसे समझ पाते, तब तक इस जहरीली गैस ने आधे शहर को अपनी चपेट में ले लिया.

भोपाल के यूनियन कार्बाइड कारखाने से निकली जहरीली गैस ने हजारों लोगों की सासें छीन ली थीं. इसका असर लाखों की संख्या में यूनियन कार्बाइड के आसपास की बस्तियों में रहने वाले लाखों लोगों पर हुआ. जिसके कारण उनमें सेरेब्रल पाल्सी, जन्मजात विसंगतिया, श्वास रोग, अपंगता और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के लक्षण देखने को मिले. यही नहीं इस घटना के बाद लाखों टन जहरीला कचरा यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में पड़ा हुआ था, जिसके कारण यहां की मिट्टी और भूजल भी निरंतर प्रदूषित हो रहा था.

यूनियन कार्बाइड क्या है

यूनियन कार्बाइड एक अमेरिकी बहुराष्ट्रीय रसायन और पेट्रोकेमिकल्स कंपनी है, जिसकी स्थापना 1917 में हुई थी। यह कंपनी विभिन्न प्रकार के रसायनों और पॉलिमर्स का उत्पादन करती है, जिनका उपयोग विभिन्न उद्योगों में किया जाता है, जैसे कि ऑटोमोबाइल, निर्माण, पैकेजिंग और कृषि।

यूनियन कार्बाइड की सबसे प्रसिद्ध और विवादास्पद घटना भोपाल गैस त्रासदी है, जो 1984 में भारत के भोपाल शहर में हुई थी। इस घटना में, यूनियन कार्बाइड के एक कारखाने से जहरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनेट का रिसाव हुआ था, जिससे लगभग 3,787 लोगों की मौत हो गई थी और कई हजार लोग घायल हुए थे।

इसके बाद, यूनियन कार्बाइड ने अपने कारखाने को बंद कर दिया और भारत सरकार के साथ समझौता किया, जिसमें उन्होंने पीड़ितों को मुआवजा देने का वादा किया था।

आजकल, यूनियन कार्बाइड डाउ केमिकल कंपनी की एक सहायक कंपनी है, जो दुनिया भर में अपने उत्पादों और सेवाओं का विपणन करती है।

यूनियन कार्बाइड से क्या नुकसान होता आम लोगों को

यूनियन कार्बाइड के कारखाने से निकलने वाले रसायनों और गैसों के कारण आम लोगों को कई प्रकार के नुकसान हो सकते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख नुकसान हैं:

# स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं

1. श्वसन समस्याएं: यूनियन कार्बाइड के कारखाने से निकलने वाली गैसें और रसायन श्वसन प्रणाली को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और अन्य श्वसन समस्याएं हो सकती हैं।
2. त्वचा और आंखों की समस्याएं: यूनियन कार्बाइड के रसायनों और गैसों के संपर्क में आने से त्वचा और आंखों में जलन, खुजली और अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
3. कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियां: यूनियन कार्बाइड के कुछ रसायनों और गैसों को कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों के कारण के रूप में जाना जाता है।
4. न्यूरोलॉजिकल समस्याएं: यूनियन कार्बाइड के रसायनों और गैसों के संपर्क में आने से न्यूरोलॉजिकल समस्याएं जैसे कि सिरदर्द, चक्कर आना और याददाश्त की समस्याएं हो सकती हैं।
5. जन्म दोष और अन्य प्रजनन समस्याएं: यूनियन कार्बाइड के रसायनों और गैसों के संपर्क में आने से जन्म दोष और अन्य प्रजनन समस्याएं हो सकती हैं।

# पर्यावरण संबंधी समस्याएं


1. वायु प्रदूषण: यूनियन कार्बाइड के कारखाने से निकलने वाली गैसें और रसायन वायु प्रदूषण का कारण बन सकते हैं।
2. जल प्रदूषण: यूनियन कार्बाइड के कारखाने से निकलने वाले रसायन और गैस जल स्रोतों में मिलकर जल प्रदूषण का कारण बन सकते हैं।
3. मिट्टी प्रदूषण: यूनियन कार्बाइड के कारखाने से निकलने वाले रसायन और गैस मिट्टी में मिलकर मिट्टी प्रदूषण का कारण बन सकते हैं।




इस पुरे मामले में किस ने क्या कहा सुने 

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने मीडिया को डी जानकारी 

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मीडिया से की चर्चा 

 

देर रात केबिनेट  में हुआ ये फैसला

जानकरी के अनुसार देर रात सरकार ने कचरे को जलाने पर रोक लगा दी है सरकार जनता की भावनाओ को  कोर्ट में अवगत करवाएगी फ़िलहाल कचरे को पीथमपुर में डम्ब दिया गया है उसे जलाया नहीं जा रहा है |

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