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पूर्व विधायक दिलीप गुर्जर ने मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को लिखा पत्र : जनता के लिए की बड़ी मांग

  • मध्यप्रदेश में सरप्लस बिजली है फिर भी बिजली दर वृद्धि क्यों ? – पूर्व विधायक गुर्जर
  • दुसरे राज्यों को 4 रूपये 31 पैसे में बेच रहे, प्रदेश की जनता को 7 रूपये 81 में बिजली मिल रही         

नागदा जंक्शन। पूर्व विधायक दिलीपसिंह गुर्जर ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि मध्यप्रदेश सरकार द्वारा स्मार्टमीटर की स्मार्टनेस से बिजली दर वृद्धि व नए टैरिफ से आम उपभोक्ताओं की कमरतोड दी है। घरेलु बिजली उपभोक्ताओं से पहले 6.61 रूपये प्रति यूनिट बिजली बील हर माह लिया जाता था जिसे अप्रैल माह से बढाकर 7 रूपये 81 पैसे प्रति युनिट कर दिया गया है, वहीं बिजली कंपनी उपभोक्ताओं को जमा सुरक्षा निधि पर पहले 6.75 प्रतिशत ब्याज देती थी जिसे घटाकर 6.50 फीसदी कर दिया गया है।

बिजली कंपनी प्रबंधन की और से नियामक आयोग के समक्ष सुरक्षा निधि पर ब्याज दर घटाने के लिए आरबीआई की ब्याज दरों का हवाला दिया गया है लेकिन जब बिजली दर वृद्धि (टैरिफ बढाने) की बात आई तो इस विषय पर कोई तर्क या नियम नहीं सुना गया और न ही जनहित में कोई सुझाव मांगे गए।

गुर्जर ने पत्र में इस और भी ध्यान आकर्षित किया कि म.प्र. में जितनी बिजली की खपत है उत्पादन उससे भी अधिक हो रहा है, यानी म.प्र. में सरप्लस बिजली है तो फिर आमजन पर अप्रैल माह से बिजली दर वृद्धि का भार क्यो डाला गया? वहीं दुसरे राज्यों को सरप्लस बिजली 4 रूपये 31 पैसे प्रति यूनिट में बेची गई है। बिजली विभाग की मनमानी व दौहरी नीति को नियामक आयोग ने संज्ञान में क्यों नहीं लिया है। बिजली कंपनियों की तानाशाही और प्रताडना का दूसरा पहलू यह है कि म.प्र. के विद्युत उपभोक्ताओं को लगभग 7 रूपये 81 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली दी जा रही है और दुसरे राज्यों को कम दर पर दी जा रही है।

गुर्जर ने कहा कि सरकार इस गंभीर मद्दे पर क्यों चिंतन नहीं कर रही है, आमजन के हित में कार्य करना सरकार का नैतिक कर्तव्य है। बिजली कंपनी मनमानी करे और वह भी सरकार की बगैर अनुमती से यह संभव नहीं है। बेतहाशा बिजली दर वृद्धि सरकार और बिजली कंपनी की मिली भगत से हो रहा है।

गुर्जर ने जनहित में मुख्यमंत्री से पत्र के माध्यम से मांग की है कि अप्रैल 2025 में जो बिजली की दरों में वृद्धि की गई है उसे तत्काल वापस लिया जाऐ। साथ ही मध्यप्रदेश में सरप्लस बिजली है, दुसरे राज्यों को 4 रूपये 31 पैसे प्रति युनिट में बेची जा रही है। म.प्र. के घरेलु उपभोक्ताओं को भी इसी दर से बिजली उपलब्ध कराऐ ंतो न्याय संगत होगा।

गुर्जर ने यह भी बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में तय घंटे अनुसार आज भी बिजली सप्लाई नहीं हो रही है। ग्रामीणजनों को अपने पशुओं को पानी पिलाने तक की बडी मुसीबत का सामना करना पड रहा है। गांव-गांव में मांगलिक कार्यक्रम, विवाह, मुण्डन आदि का कार्य जोरों पर है लेकिन सरकार मुकदर्शक बन कर बैठी है। शहरी क्षेत्रों में भी अघोषित बिजली कटौती चालु है, इस और भी ध्यान देने की सरकार को जरूरत है।

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