भोपाल || मध्य प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के तबादलों को लेकर लगातार बढ़ रही अनिश्चितता और अव्यवस्था पर चिंता व्यक्त करते हुए, प्रदेश प्रवक्ता रवि सक्सेना ने मोहन यादव सरकार पर तीखा हमला बोला है।
रवि सक्सेना ने कहा कि राज्य में तबादलों की प्रक्रिया पारदर्शिता और निष्पक्षता से कोसों दूर है, और यह एक “तबादला उद्योग” में तब्दील हो चुकी है, जहां केवल वही लोग लाभान्वित हो रहे हैं जो “अधिकारियों और नेताओं की जेब गर्म कर रहे हैं।
रवि सक्सेना ने बताया कि सरकार ने पहले वादा किया था कि तबादले पूरी तरह ऑनलाइन और पारदर्शी तरीके से होंगे, ताकि कर्मचारियों को सुविधा हो और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगे। हालांकि, इसके विपरीत, तबादला प्रक्रिया को मंत्रियों के हाथों में सौंप दिया गया है, जिसके चलते भ्रष्टाचार और पक्षपात की शिकायतें बढ़ रही हैं। “लगातार तारीख पर तारीख बढ़ाई जा रही है, जिससे कर्मचारी और अधिकारी परेशान हैं। जो लोग सालों से अपने तबादले की राह देख रहे हैं, उनके लिए यह प्रक्रिया निराशाजनक साबित हो रही है,
“रवि सक्सेना ने मध्य प्रदेश सरकार से मांग की है कि: तबादला प्रक्रिया को पूरी तरह ऑनलाइन और पारदर्शी बनाया जाए, जैसा कि पहले वादा किया गया था।मंत्रियों और नेताओं के हस्तक्षेप को समाप्त कर तबादलों को प्रशासनिक आवश्यकताओं और कर्मचारियों की आवश्यकता के आधार पर किया जाए। भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच के लिए एक स्वतंत्र समिति गठित की जाए, जो तबादला प्रक्रिया में अनियमितताओं की निगरानी करे।
तबादलों की समय-सीमा को स्पष्ट किया जाए, ताकि कर्मचारियों को बार-बार अनिश्चितता का सामना न करना पड़े। सक्सेना ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने इस “तबादला उद्योग” पर तुरंत रोक नहीं लगायी, तो कॉंग्रेस पार्टी और कर्मचारी,अधिकारी संगठन इस मुद्दे को जनता के बीच ले जाएंगे और आवश्यक कदम उठाएंगे।
उन्होंने कहा, “मध्य प्रदेश की जनता और कर्मचारी यह सब देख रहे हैं। सरकार को जवाब देना होगा कि वह इस भ्रष्टाचार और अनियमितता को कब तक बढ़ावा देती रहेगी? कॉंग्रेस की माँग हैं कि इस पर तत्काल अंकुश लगाया जाये!
