इंदौर | मध्यप्रदेश के इंदौर में 30 मार्च 2023 को रामनवमी पर हुए दर्दनाक हादसे पर कोर्ट का फैसला आया है ,दरअसल बेलेश्वर महादेव मंदिर बावड़ी हादसे बावड़ी धसने के चलते 36 लोगो की मौत हो गई थी इसी को लेकर दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने फैसला दे दिया है। शुक्रवार दोपहर इंदौर हाईकोर्ट की डबल बेंच ने मजिस्ट्रियल जांच रिपोर्ट देर से पेश करने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया।
न्यायमूर्ति विवेक रूसिया और न्यायमूर्ति अनिल वर्मा की डबल बेंच ने कहा, ‘मजिस्ट्रियल जांच 11 जुलाई 2023 को पूरी हो जाने के बावजूद कहीं पर भी पेश नहीं की गई। न ही जनता में इसे सार्वजनिक किया गया। इतना ही नहीं, अभी तक किसी दोषी पर कोई विभागीय कार्यवाही भी नहीं हुई। न कोई ट्रायल शुरू हुआ।’
हाईकोर्ट का यह फैसला एक जनहित याचिका पर आया है। इस मामले में जिला कोर्ट में क्रिमिनल केस अलग चलता रहेगा। पुलिस ने क्रिमिनल मामले में अभी चालान पेश नहीं किया है। न ही अभी तक किसी को गिरफ्तार किया है। धारा-41 का नोटिस तक नहीं दिया है। हाईकोर्ट ने इस सुस्ती पर नाराजगी जताते हुए पुलिस को शेष कार्यवाही जल्द पूरी करने के निर्देश दिए हैं।
नगर निगम और पुलिस को दिया यह आदेश
हाईकोर्ट ने इंदौर नगर निगम और पुलिस थाना जूनी इंदौर को डिप्टी पुलिस कमिश्नर जूनी इंदौर जोन की मॉनिटरिंग में जांच को 30 मार्च 2024 (घटना का एक साल पूरा होने) से पहले सभी आगामी कार्यवाही पूरा करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा, जहां तक मुआवजे का सवाल है। उसके लिए पीड़ित पक्ष खुद उचित फोरम में मांग कर सकते हैं।
कुएं-बावड़ी को पुनर्जीवित करने के निर्देश
अधिवक्ता मनीष यादव के द्वारा कुएं-बावड़ियों को बंद करने को गलत बताने और उन्हें पुनर्जीवित करने के तर्क को भी कोर्ट ने स्वीकार किया। तत्काल प्रभाव से इंदौर नगर निगम को आदेशित किया कि शहर के कुएं-बावड़ियां ऐतिहासिक महत्व और सम्मान का विषय हैं। तत्कालीन राजा रजवाड़ों द्वारा इन्हें जल प्रबंधन और प्राकृतिक जल स्त्रोत के रूप में बनवाया था। इन्हें पुनर्जीवित करना और इनका व्यापक रखरखाव जरूरी है। कुएं-बावड़ियों की सफाई और मेंटेनेंस का ध्यान रखते हुए इन्हें पुनर्जीवित किया जाए।
गौरतलब है कि मामले में पूर्व पार्षद महेश गर्ग, कांग्रेस नेता प्रमोद द्विवेदी ने एडवोकेट मनीष यादव और अदिति मनीष यादव के माध्यम से दो अलग-अलग जनहित याचिका दायर कर उच्च न्यायालय से हस्तक्षेप की मांग की थी। मामले में मृतकों के परिवार को 25 लाख का मुआवजा, शहर की विभिन्न बावड़ियों और कुओं से तत्काल कब्जे हटाए जाने और मामले की जांच उच्च न्यायालय की निगरानी में गठित कमेटी से कराए जाने की मांग की गई थी।
