केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को बताया कि एक बार एक नेता ने उन्हें प्रधानमंत्री पद के लिए समर्थन देने की पेशकश की थी। हालांकि गडकरी ने यह ऑफर यह कहकर ठुकरा दिया कि उनकी ऐसी कोई लालसा नहीं है।
नागपुर में एक पत्रकारिता पुरस्कार समारोह में गडकरी ने कहा- ‘मुझे एक घटना याद है। मैं किसी का नाम नहीं लूंगा… उस व्यक्ति ने कहा था कि अगर आप प्रधानमंत्री बनते हैं, तो हम समर्थन करेंगे।’
गडकरी ने आगे कहा- ‘मैंने उनसे पूछा कि आप मेरा समर्थन क्यों करेंगे और मुझे आपका समर्थन क्यों लेना चाहिए? पीएम बनना मेरे जीवन का लक्ष्य नहीं। मैं अपनी मान्यता और संगठन के प्रति वफादार हूं। मैं किसी भी पद के लिए समझौता नहीं करूंगा। मेरा निश्चय मेरे लिए सबसे अहम है।’
नितिन गडकरी भाजपा के सर्वमान्य नेता है। अगर विपक्ष के किसी बड़े नेता ने उनसे ऐसा कहा होगा तो मुझे नहीं लगता कि इसमें कुछ गलत है। जगजीवन राम ने 1977 में कांग्रेस से बगावत की थी। इसके बाद इंदिरा गांधी हार गई थीं। इस देश में अगर स्वतंत्र, लोकतंत्र और न्यायपालिका की स्वतंत्रता बनाए रखना है तो सत्ता में रहते हुए कुछ लोगो को त्याग करना पड़ता है। – संजय राउत, शिवसेना (UBT) सांसद

गडकरी बोले- लोकतंत्र के चारों स्तंभ के लिए नैतिकता का पालन करना जरूरी अपने भाषण में गडकरी ने राजनीति और पत्रकारिता दोनों में नैतिकता की अहमियत का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि ईमानदारी से विरोध करने वाले व्यक्ति का सम्मान किया जाना चाहिए। लोकतंत्र तभी सफल हो सकता है जब न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका और मीडिया जैसे चारों स्तंभ नैतिकता का पालन करें।
