उज्जैन | विश्व प्रसिद्द महाकालेश्वर मंदिर में 25 मार्च होली पर्व के अवसर पर प्रातकाल में होने वाली भस्मआरती के दौरान गर्भगृह में अचानक आगजनी की घटना घटित हो गई , इस अग्निकांड में गर्भगृह में मोजूद पण्डे पुजारी , सेवक और प्रोटोकाल कर्मचारी सहित करीब 14 लोग झुलस गए , अग्निकांड के इस मामले में जिला कलेक्टर नीरज कुमार सिंह के द्वारा एक जाँच टीम बनाई गई |
जाँच टीम को तीन दिन में रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए गए थे जिसके अनुसार गुरुवार को टीम द्वारा अपनी पहली रिपोर्ट पेश कर दी है |
भस्मआरती के दौरान गर्भगृह में गुलाबी रंग का गुलाल था। इसमें सुगंध के लिए बारीक कर्पूर की काफी मात्रा मिलाई गई थी। सुबह करीब 5:45 बजे पूजा के बाद पुजारी ने फर्श पर रखी पंचमुखी आरती उठाई। तभी उनके पीछे खड़े अन्य पुजारी ने स्टील की थाली में रखा गुलाबी (प्रतिबंधित) गुलाल उड़ाया। कर्पूर मिला गुलाबी गुलाल पंचमुखी आरती की लौ की चपेट में आया और आग भड़क गई। लपटें 5-6 फीट ऊंची उठीं और गर्भगृह में खड़े 14 पंडे-पुजारी, मंदिर समिति के कर्मचारी और सेवक झुलस गए। हालांकि, गुरुवार को कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने कहा कि रासायनिक गुलाल के प्रज्ज्वलित कर्पूर के संपर्क में आने से आग भड़की थी। जांच के बाद मंदिर प्रशासक को कलेक्टर ने हटा दिया।
अब जिला पंचायत सीईओ मृणाल मीना को महाकालेश्वर मंदिर के प्रशासक का भी कार्यभार सौंपा है। मामले में मंदिर प्रबंध समिति के 4-5 अधिकारी-कर्मचारियों पर भी कार्रवाई की जा रही है। कलेक्टर बोले कि होली महोत्सव के दौरान तय प्रोटोकॉल व नियमों का जमकर उल्लंघन हुआ। तय से ज्यादा मात्रा में गर्भगृह में गुलाल ले जाया गया। फाइनल जांच रिपोर्ट आने पर दोषियों की संख्या और बढ़ेगी। प्रतिबंधित गुलाल को भीतर ले जाकर उसे इस्तेमाल करने वाले और मंदिर समिति के प्रशासक भी कार्रवाई के दायरे में आएंगे। प्रारंभिक मजिस्ट्रियल जांच एडीएम अनुकुल जैन और जिला पंचायत सीईओ मृणाल मीणा ने की है।
