उज्जैन | मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित विक्रम विश्व विद्यालय एक बार फिर चर्चा का विषय बन चूका है , क्योकि उज्जैन के विक्रम यूनिवर्सिटी में साल 2009 में हुए पीएचडी नकल कांड में डॉ. पवेंद्र नाथ तिवारी द्वारा एफआईआर में दोषी बताए गए जांच अधिकारियों सहित अन्य को इंदौर हाईकोर्ट ने बरी करते हुए प्रकरण को खारिज कर दिया। साथ ही कहा कि यह प्रकरण कोर्ट में चलने योग्य नहीं है|
इसमें जांच के दौरान यह साबित पाया गया कि डॉ. सुनन्दा भारद्वाज (यादव) की थीसीस की नकल डॉ. पवेंद्र तिवारी ने अपनी थिसीस में की है। जबकि वास्तव में मामला शोधग्रंध की नकल कर सहायक प्रध्यापक के पद पर नियुक्ति फर्जी तौर पर पाने का है, जिसे फरियादी डॉ. पवेंंद्र नाथ तिवारी ने झूठा मुकदमा गढ़कर मोड़ने का प्रयास किया है। डॉ. तिवारी की शिकायत पर न्यायालय ने पुलिस माधव नगर को जांच के लिए भेजा, जहां से पुलिस ने अपराध क्रमांक 577/2011 प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की और न्यायालय में चालान प्रस्तुत किया गया। चालान प्रस्तुत होने पर विचारण न्यायालय ने चन्दू उर्फ चन्द्र प्रकाश यादव तथा जा. एसके माजू और डॉ. गोपालकृष्ण उपाध्याय पर धारा- 120बी, 467, 471 भा.द.वि. के अन्तर्गत शिकायतकर्ता मुकेश कुमार के साथ लगाए, जिसके विरूद्ध उच्च न्यायालय, खण्डपीठ इन्दौर के समक्ष विभिन्न याचिकाएं प्रस्तुत की गई।
उच्च न्यायालय, खण्डपीठ इन्दौर के समक्ष विचाराधीन याचिका क्रमांक 4075/2018 तथा क्रमांक 4442/2018 स्वीकार कर उच्च न्यायालय ने चन्दू उर्फ चन्द्र प्रकाश यादव एवं डॉ. एसके मांजू को आदेश 03-01-2024 अनुसार डिस्चार्ज कर दिया। प्रकरण के विचारण दौरान डॉ. सुनन्दा भारद्वाज (यादव) तथा डॉ. गोपालकृष्ण उपाध्याय की मौत हो गई। चन्दू उर्फ चन्द्र प्रकाश यादव की ओर से पैरवी सीताराम मदरोसिया, एडवोकेट, उज्जैन तथा डा. एसके मांजू की ओर से पैरवी विवेक सिंह, एडवोकेट, इन्दौर ने की।
