भारत और मालदीव समुद्री सीमा साझा करने वाले पड़ोसी हैं। भारत द्वीप राष्ट्र को वित्तीय सहायता प्रदान करने के साथ-साथ सुरक्षा बनाए रखने में भी योगदान देता रहता है। हालांकि, मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़ू द्वारा “इंडिया-आउट” अभियान चलाए जाने और देश द्वारा चीन के साथ संबंधों को गहरा करने के कारण तनाव बढ़ गया है।
वही हाल ही में मालदीव के एक नेता के द्वारा द्वारा भारत के समुद्री तट को लेकर एक विवादित बयान दिया था जिसके बाद भारत ने मालदीव से दुरी बनाई थी और भारत में बाय काट मालदीव अभियान भी चलाया गया था यह तक की भारत से मालदीव जाने वाली फ्लाईट भी निरस्त कर दी गई थी |
पुरे विवाद के बाद पहली बार भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर 3 दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर शुक्रवार शाम मालदीव पहुंचे। एयरपोर्ट पर उनका स्वागत विदेश मंत्री मूसा जमीर ने किया। जयशंकर 11 अगस्त तक मालदीव में रहेंगे। रिपोर्ट्स के मुताबिक शनिवार को उनकी मुलाकात राष्ट्रपति मुइज्जू से हो सकती है।
जयशंकर ने शुक्रवार रात मालदीव के विदेश मंत्री के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। उन्होंने कहा कि भारत के लिए ‘पड़ोस’ एक प्राथमिकता है और पड़ोस में ‘मालदीव’ प्राथमिकता है। हमारे बीच इतिहास और रिश्तेदारी के सबसे करीबी रिश्ते भी हैं। यह यात्रा दोनों देशों की उपलब्धियों का जायजा लेने और आने वाले सालों में बेहतर संबंध तैयार करने के लिए है।
पिछले साल राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के सत्ता संभालने के बाद जयशंकर की ये पहली मालदीव यात्रा है। इससे पहले मई में मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर भारत आए थे।
इकोनॉमिक टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से बताया कि राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू सितंबर में भारत का दौरा कर सकते हैं। मुइज्जू इससे पहले वे जून में प्रधानमंत्री मोदी के शपथग्रहण समारोह में आए थे।
जयशंकर ने सोशल मीडिया पर कहा, “मालदीव पहुंचकर खुशी हुई। एयरपोर्ट पर मेरा स्वागत करने के लिए विदेश मंत्री मूसा जमीर को धन्यवाद। हमारी ‘नेबर फर्स्ट’ नीति, ‘ग्लोबल साउथ’ और ‘सागर विजन’ में मालदीव की अहम जगह है।”
मालदीव के विदेश मंत्री जमीर ने सोशल मीडिया पर लिखा, “मालदीव की आधिकारिक यात्रा पर जयशंकर का स्वागत करते हुए खुशी हो रही है। उम्मीद है कि मालदीव और भारत के बीच ऐतिहासिक संबंध और मजबूत होंगे।”


