उज्जैन। त्रिवेणी के निकट श्री स्वामीनारायण आश्रम में चल रहे नौ दिवसीय श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन श्री सतगुरु धाम बरूमल के पीठाधीश्वर एवं भागवत प्रवक्ता स्वामी विद्यानंद सरस्वती जी महाराज ने भागवत को परिभाषित करते हुए कहा कि भागवत जीवन में तभी चरितार्थ होगी जब जीवन में ज्ञान वैराग्य और तब आएगा। उन्होंने कहा कि तीर्थ क्षेत्र में भागवत श्रवण का बहुत ही महत्व है, लेकिन श्रवण में प्रबल निष्ठा होना चाहिए।
स्वामीजी ने कहा की भागवत संसार एवं विषय में रहते हुए इससे अलग रहना सिखाती है। क्योंकि ब्रह्म सत्य एवं जगत मिथ्या है, लेकिन यह सत्य सा प्रतीत होता है और इसी माया से प्राणी मोहित हो जाता है।
स्वामी विद्यानंद सरस्वती जी ने श्रीमद्भागवत के प्रथम स्कंध की व्याख्या करते हुए कहा कि भागवत वेद वाणी है लेकिन श्रीमद् भागवत ने किसी भी संप्रदाय विशेष के साथ कोई गठबंधन नहीं किया है।यह पूर्ण रूप से स्वतंत्र है क्योंकि शिव में भी सत्य रूप है, शक्ति में भी सत्य रूप है ,राम में भी सत्य रूप है, कृष्ण में भी सत्य रूप है, सूर्य में भी सत्य रूप है और सभी का सत्य एक ही है। स्वामी जी ने कहा कि यह ग्रंथ समाधि भाषा में लिखा गया ग्रंथ है जो हमे परम चेतना से साक्षात्कार कराता है। क्योंकि आधी-व्याधि हमारे शरीर का धर्म है, आपका धर्म चैतन्य है।
स्वामी विद्यानन्द सरस्वती जी ने 1975 से 2 वर्ष तक लगातार 18 घंटे सतत भागवत का स्वाध्याय किया तथा भागवत श्लोकों से साक्षात्कार किया है। कथा आरंभ के पूर्व श्री अरविंद योग सोसाइटी उज्जैन के चेयरपर्सन विभाष उपाध्याय ने श्री मां की प्रार्थना का संदेश दिया।
आज ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन स्वामी विद्यानंद सरस्वती जी के आशीर्वाद लेने मध्य प्रदेश शासन की धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सुश्री उषा ठाकुर विशेष रूप से उपस्थित हुई।इस अवसर पर उन्होंने एक भजन भी प्रस्तुत किया। कथा श्रवण के लिए आए निर्वाणी अखाड़े के विनीत गिरी जी महाराज काशी दास जी महाराज कृष्णानंद जी सरस्वती का श्यामसुंदर श्रीवास्तव एवं मधुसूदन श्रीवास्तव ने सम्मान किया। कथा की आरती में विवेक जोशी, इकबाल सिंह गांधी श्री अरविंद सोसाइटी राज्य समिति के अध्यक्ष मनोज शर्मा, सरपंच पर्वत सिंह मालवीय,नवल ,सुमन एवं देवकी अग्रवाल सहित गुजरात के वनवासी अंचल से अमृत भाई पटेल, धनसुख भाई सुरेश भाई एवं विजय भाई विशेष रुप से उपस्थित थे।


