उज्जैन | धार्मिक नगरी उज्जैन को एक बार फिर हथकरघा के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि मिली है। विश्व प्रसिद्ध भेरूगढ़ ‘बटिक प्रिंट’ को जीआई टैग दिया गया है।मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने ट्विटर हैंडल पर इस गौरवपूर्ण उपलब्धि के लिए समस्त बटिक कलाकारों और राज्य के निवासियों को बधाई दी है।
उज्जैन के "बाटिक प्रिंट" को 'GI टैग' मिलना हम सबके लिए गर्व व आनंद का विषय है। इस गौरवपूर्ण उपलब्धि के लिए समस्त कलाकारों और प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई।
यह टैग मिलने से न केवल हमारे कलाकारों और प्रदेश को नयी पहचान मिली है, अपितु समृद्धि का भी नव मार्ग प्रशस्त हुआ है। pic.twitter.com/bNnXWhJwbh
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) April 9, 2023
मध्यप्रदेश के उज्जैन में होने वाले बटिक कला जिसे भेरूगढ़ प्रिंट के नाम से जाना जाता है उक्त कला को जीआई टैग मिलने से शहर ही नहीं प्रदेश का भी नाम रोशन हुआ है। बटिक प्रिंट कपडे पर छपाई की एक पारंपरिक तकनीक है, बटिक प्रिंट कपडे पर अपने आकर्षक और सुंदर डिजाइनों के लिए प्रसिद्ध है। इस तकनीक में मोम और रंग के कॉम्बिनेशन से शानदार डिजाइन बनाई जाती है। जो विशेष कर भैरवगढ़ में लगभग 500 सालों से यहाँ के स्थानीय कलाकारों द्वारा किया पीढ़ी-दर-पीढ़ी किया जाता रहा है। भैरवगढ़ में 80 के लगभग हैंडलूम है। बटिक कार्य से 2500 से अधिक लोगों का भरण-पोषण होता है।अपनी खूबसूरत कपड़ो की छपाई के लिए देश भर में मशहूर भेरूगढ़ ‘बटिक प्रिंट को जीआई टैग मिलने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेशवासियो को शुभकामना दी है।
इसी के साथ इन उत्पादों को भी मिला जीआई टैग
केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय के इंडस्ट्री प्रमोशन एडं इंटरनल ट्रेड ने मध्य प्रदेश के 5 उत्पादों को जीआई टैग (GI Tag) दिया है। जिन उत्पादों को यह टैग मिला है, वो है डिंडौरी की गोंड पेंटिंग, ग्वालियर का कालीन, उज्जैन की बटिक प्रिंट, भेड़ाघाट (जबलपुर) का स्टोन क्राफ्ट, वारासिवनी (बालाघाट) साड़ी और रीवा का सुंदरजा आम शामिल है सीएम का ट्वीट सीएम ने ट्विटर पर लिखा कि उज्जैन के “बाटिक प्रिंट” को ‘GI टैग’ मिलना गर्व व आनंद का विषय है। इस गौरवपूर्ण उपलब्धि के लिए समस्त कलाकारों और प्रदेशवासियों को बधाई। यह टैग मिलने से न केवल हमारे कलाकारों और प्रदेश को नयी पहचान मिली है, अपितु समृद्धि का भी नव मार्ग प्रशस्त हुआ है।
कैसे मिलता है जीआई टैग
जीआई टैग अप्लाई करने वालों को बताना होगा कि उन्हें टैग क्यों दिया जाए। सिर्फ बताना नहीं पड़ेगा, प्रूफ भी देना होगा। प्रॉडक्ट दूसरों से कितना अलग और महत्वपूर्ण है। उसके ऐतिहासिक विरासत के बारे में साबित करना होगा। जिसके बाद संस्था साक्ष्यों और संबंधित तर्कों का परीक्षण करती हैं। मानकों पर खरा उतरने वाले को जीआई टैग मिलता है


