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श्री डुण्डेश्वर महादेव देवनारायण महाराज मंदिर परिसर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा का पांचवा दिन

मुझे चढ़ोत्तरी में पैसा नहीं, बल्कि अपने जीवन की सभी बुराइयाँ दे दो, जो क्षिप्रा जी में विसर्जित कर दूंगा : पं. कमलेश

घट्टिया (ujjain) ||  मुझे चढ़ोत्तरी में पैसा नहीं चाहिए, बल्कि अपने जीवन की सभी बुराइयाँ मेरी झोली में डाल दो, जोकि क्षिप्राजी में विसर्जित कर दूंगा। मैरे श्रद्धालु भाई- बहन, युवा- बच्चें सभी अच्छे बनकर जीवन जिओ, ताकि मैरा श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करवाना भी सार्थक हो जाएगा। जहां भक्ति होती है, वहां भगवान स्वयं चलकर आते हैं। तपस्या से आपको स्वर्ग का सुख मिल सकता है। लेकिन भगवान को पाने के लिए तो भगवान की भक्ति करने की ही नितांत आवश्यकता होती है।


यह बात तहसील क्षेत्र के ग्राम दौलतपुर, झीतरखेड़ी और खेड़ा चितावलिया के मध्य स्थित अतीप्राचीन श्री डुण्डेश्वर महादेव देवनारायण महाराज मंदिर परिसर में चल रही सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव एवं रूद्र यज्ञ आयोजन के अंतर्गत कथा के पांचवें दिन कथावाचक पं. कमलेश भईजी ने अंचल के हजारों श्रद्धालुओं को कथा का श्रवण करवाते हुए कहीं। कथा में आस- पास के अनेक ग्रामीण क्षेत्रों से आए हजारों श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा।

सर्वप्रथम कथा के पांचवें दिवसीय यजमान मणिशंकर गामी परिवार ने कथा शुरू होने से पूर्व व्यासपीठ का पूजन करते हुए कथावाचक पं. कमलेश भईजी को तिलक लगाकर पांचवें दिनी कथा की शुरुआत की। कथा दोपहर 12 से शाम 04 बजे तक चली। कथा में गोवर्धन लिला, बाललिला आदि के प्रसंग का वर्णन किया गया। कथा में रामानुज कोट पीठाधीश्वर 1008 स्वामी रंगनाथाचार्य जी महाराज भी पहुंचे, जिन्होंने श्रद्धालुजनों को संबोधित कर कहा कि गौमाता को आवारा की तरह नहीं छोड़े, गौमाता अगर सड़कों पर भटकेगी, तो हमारे जीवन में भी कभी सुख- शांति नहीं होगी। कथा के दौरान समाजसेवी दिपांशु जैन ने 1008 स्वामी रंगनाथाचार्य जी महाराज, कथावाचक पं. कमलेश भईजी सहित सभी बटूकों और मंदिर समिति सदस्यों का भी सम्मान किया। अंचल के हजारों श्रद्धालुओं ने बड़ी शांति और सद्भावना के साथ झुमते- गाते हुए कथा का श्रवण कर आनंद लिया। कथा समापन के उपरांत भागवतजी की आरती कर महाप्रसादी बांटी गई।

इधर सप्त दिवसीय भव्य आयोजन के अंतर्गत रविवार से अग्निस्थापना के साथ पंचकुंडीय रूद्र यज्ञ की भी शुरूआत हुई। जिसमें यज्ञाचार्य पं. कमलेश शास्त्री दलोदा (डोराना वाले) सहित अन्य ने विधि- विधान पूर्वक यज्ञ की शुरूआत करवाई। पंचकुंडीय यज्ञ में पांच जोड़े नियुक्त हुए, जोकि यज्ञ में अपनी सहभागिता का निर्वहन कर हवन आदि आयोजन कर रहे हैं। रुद्र यज्ञ प्रतिदिन सुबह 08 से 11 बजे तक और शाम 04 से 06 बजे तक चल रहा है। यज्ञ में देशभर की सुख- शांति को लेकर भी आहुतियां दी गई।

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